Mirza Ghalib : मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन परिचय, ग़ज़ल, शेर/ Mirza Ghalib Biography,ghajal shayari

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Mirza Ghalib : मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू शायरी (Urdu shayari) का एक ऐसा नाम हैं जिसे पूरी दुनियां में पढ़ा और पढ़ाया जाता हैं, मिर्ज़ा ग़ालिब ( Mirza Ghalib) जितना शोहरत अपने जीते जी पाए थे, आज उससे लाखों गुना शोहरत पूरी दुनियां में हैं, मुल्क कोई भी हो, मजहब कोई भी हो लेकिन गालिब को हर जबान के लोग जानते और मानते हैं। मिर्ज़ा ग़ालिब ( Mirza Ghalib ) उर्दू (Urdu) और फ़ारसी (Farsi)भाषा के महान् शायर ( (Great poet) थे। मुगल दरबार में जब मिर्ज़ा गालिब ( Mirza Ghalib) अपने ग़ज़ल के मतले के साथ शुरुआत करते थे तो पूरा महफ़िल मिर्ज़ा के रंग में खो जाता था। मिर्ज़ा ग़ालिब अपनी शायरी में दुनियां की विरह को इस तरह से पिरों कर लोगों में सुनते थे जैसे शिपियों में मोती पलते हैं। 


(Mirza Ghalib ke sher)



उर्दू अदब (Urdu poetry) के महान् शायर मिर्जा ग़ालिब ( Great Poet mirza ghalib ) का जन्म 27 दिसंबर 1797 को दिल्ली के आगरा में हुआ था, इनका पूरा नाम मिर्ज़ा असदुल्लाह वेग खां ग़ालिब ( Mirza Asadullah beg Khan Ghalib) था। मिर्ज़ा ग़ालिब के वालिद ( पिता ) का नाम मिर्ज़ा अब्दुला बेग ( Mirza Abdullah Beg) था, व इनकी माता का नाम निशा बेगम ( nisha begam)  था। मिर्ज़ा ग़ालिब ( mirza ghalib) जब 6 वर्ष के थे, तभी से इनका परवरिश इनके चाचा नशरुल्ला बेग ख़ान ने किया, लेकिन कुछ ही साल में इनकी चोट के कारण मृत्यु हो गई।  


सन 1810 में मिर्ज़ा ग़ालिब ( Mirza Ghalib) जब मात्र तेरह साल के थे तभी नवाब इलाही बख्श की बेटी उमराव बेगम ( Umrav Begam) से शादी कर लिया। ग़ालिब ने बचपन से ही दुखों के पहाड़ को झेलते रहे। मिर्ज़ा ग़ालिब के शादी के बाद बारी बारी से 8 बच्चे हुए, लेकिन अफसोस कोई भी बच्चा जिंदा न रह सका, कुछ बच्चे पैदा होने के 2 से 5 साल के बाद ख़त्म हो गए थे। एक एक बचे के मौत का गम मिर्ज़ा ग़ालिब ( Mirza Ghalib) को अंदर ही अंदर गमों का सैलाब भरता जा रहा था। मिर्ज़ा गालिब हर वक्त किसी न किसी दुःख से जकड़े रहते थे, कभी अपनी पेंशन को लेकर तो कभी बच्चो के मौत से तो कभी अपनी जिंदगी से, आय दिन ग़ालिब के उपर दुखों का पहाड़ टूटता रहता था। जिसके बाद मिर्ज़ा ग़ालिब शराब के आदि बनते गए, और शराब को अपने जिंदगी का सहारा बनाया। 


मिर्ज़ा ग़ालिब ने महज़ 11 साल की उम्र से ही उर्दू और फ़ारसी में शायरी लिखना शुरू कर दिया था। और साथ ही साथ उर्दू, हिंदी, फ़ारसी और तुर्की में शिक्षा प्राप्त करते रहें। और बहुत कम उम्र में ही ये सभी शिक्षाएं प्रात कर ली। मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) ने अपनी गजलों में जीवन के कष्ट, दर्शन, और पीढ़ा को हुबहू उतारा और लोगों तक पहुंचाया, इनके इस कला को देखते हुए मुग़ल बादशाह में शाही उस्ताद बनाया गया, और साथ ही में 400 रुपए महीने का वेतन भी दिया जानें लगा। मिर्ज़ा (Mirza Ghalib) ग़ालिब एक शायर के साथ साथ गद्य और पत्र के बेहतरीन लेखक थे। 


मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी ( Mirza Ghalib Shayari) के खुदा  मीर तकी मीर  के कलाम को पढ़ते थे, जो गालिब से पहले और बड़े शायर थे, कहां जाता है मीर तकी मीर ( Mir taki Mir) ने ही उर्दू शायरी की परंपरा को पूरे तरह से शुरआत किया और अपने जीवन में हजारों कलाम और शेर लिखे। मीर तकी मीर (Mir taki Mir) की महानता का अहसास मिर्ज़ा ग़ालिब ( Mirza Ghalib) को बखूबी था था, तभी तो मिर्ज़ा ग़ालिब ने एक शेर लिखा और कहां की..


"रेख्ते के तुम ही उस्ताद नहीं हो ग़ालिब

कहते है अगले जमाने में कोई मीर भी था "

इस शेर के जरिए मिर्ज़ा ग़ालिब (mirza ghalib) ने मीर तकी मीर ( Mir taki Mir) के महानता का एहसाह लोगों में कराया।  ऐसा माना जाता है की उर्दू शायरी में दो कबीले हुए एक मीर का और एक ग़ालिब का, आज के दौर का शायर इन्हीं में से किसी एक कबीले का होता हैं। 


मिर्ज़ा गालिब की मृत्यु कब हुई? Death of Mirza Ghalib?


उर्दू फारसी शायरी का ये महान सितारा मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) ने 71 साल की उम्र में सन 15 फ़रवरी 1869 को इस दुनियां को अलविदा कह दिया। और अपने पीछे कभी न मिटने वाला शायरी ( Shayari) का जखीरा छोड़ गए, जिसपर आज भी कई देशों में रिसर्च चल रहा हैं।  



मिर्ज़ा गालिब की किताबे Books of Mirza Ghalib 

1. दीवान– ए –गालिब ( diwan e Ghalib)

2 . ग़ालिब के ग़ज़ल ( Ghazals of Ghalib) 

3. मोहब्बत भरे शेर. ( Love poetry)


मिर्ज़ा ग़ालिब ने कितने ग़ज़ल लिखें हैं? How many Ghazals have been written by Mirza Ghalib?


मिर्ज़ा ग़ालिब (mirza ghalib) ने अपने जीवन में लगभग 610 से ज्यादा गजलें लिखी हैं। जिसमे 260 से ज्यादा अभी भी अप्रचलित गजलें शामिल हैं, इसके साथ 500 से ज्यादा शेर, 40 से ज्यादा रूबाई, 2 मर्सिया, 5 सेहरा 10 से ज्यादा कसीदा, लगभग 35 रूबाई, 2 सलाम,20 से ज्यादा किस्से, 3  , आदि लिखे हैं।  


मिर्ज़ा ग़ालिब की मशहूर गजलें कौन सी हैं? What are the famous Ghazals of Mirza Ghalib?

मिर्ज़ा ग़ालिब की गज़लें/ Ghazals of Mirza Ghalib


Famous ghazal of Mirza Ghalib


Ghalib ke ghazals 



1.ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता।

अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता।।


तिरी नाज़ुकी से जाना कि बँधा था अहद बोदा।

कभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तुवार होता।।


तिरे वा'दे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना।

कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता।।


ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है।

ग़म-ए-इश्क़ गर न होता ग़म-ए-रोज़गार होता।


ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह।

कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता।।


हुए मर के हम जो रुस्वा हुए क्यूँ न ग़र्क़-ए-दरिया।

न कभी जनाज़ा उठता न कहीं मज़ार होता।।


उसे कौन देख सकता कि यगाना है वो यकता।

जो दुई की बू भी होती तो कहीं दो-चार होता।।


ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान ग़ालिब।

तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता।।


मिर्जा गालिब गजल 


2. दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।।


जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद।

फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है।।


मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ।

काश पूछो कि मुद्दआ' क्या है।।


हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार।

या इलाही ये माजरा क्या है।।


सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं।

अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है।।


हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद।

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।।


जान तुम पर निसार करता हूँ।

मैं नहीं जानता दुआ क्या है।।


मैं ने माना कि कुछ नहीं ग़ालिब।

मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है।।


मिर्जा गालिब की दर्द भरी गजलें

गालिब के शेर 



3. आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक।

कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।।


ता-क़यामत शब-ए-फ़ुर्क़त में गुज़र जाएगी उम्र।

सात दिन हम पे भी भारी हैं सहर होते तक।।


दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग।

देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते तक।।


परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को फ़ना की ता'लीम।

मैं भी हूँ एक इनायत की नज़र होते तक।।


ग़म-ए-हस्ती का असद किस से हो जुज़ मर्ग इलाज।

शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक।।


Mirza Ghalib Ghazal in Hindi


4. आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे।

ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे।।


ग़ालिब बुरा न मान जो वाइ'ज़ बुरा कहे।

ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे।।


है चश्म-ए-तर में हसरत-ए-दीदार से निहाँ।

शौक़-ए-इनाँ गुसेख़्ता दरिया कहें जिसे।।


हसरत ने ला रखा तिरी बज़्म-ए-ख़याल में।

गुल-दस्ता-ए-निगाह सुवैदा कहें जिसे।।


फूँका है किस ने गोश-ए-मोहब्बत में ऐ ख़ुदा।

अफ़्सून-ए-इंतिज़ार तमन्ना कहें जिसे।।


मिर्ज़ा ग़ालिब का गज़ल 

Mirza Ghalib Ghazal in English 


5. घर जब बना लिया तिरे दर पर कहे बग़ैर।

जानेगा अब भी तू न मिरा घर कहे बग़ैर।।


काम उस से आ पड़ा है कि जिस का जहान में।

लेवे न कोई नाम सितमगर कहे बग़ैर।।


जी में ही कुछ नहीं है हमारे वगरना हम।

सर जाए या रहे न रहें पर कहे बग़ैर।।


बहरा हूँ मैं तो चाहिए दूना हो इल्तिफ़ात।

सुनता नहीं हूँ बात मुकर्रर कहे बग़ैर।।


ग़ालिब न कर हुज़ूर में तू बार बार अर्ज़।

ज़ाहिर है तेरा हाल सब उन पर कहे बग़ैर।।


मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर /famous lion in mirza ghalib


1. इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।

वर्ना हम भी आदमी थे काम के।।


Ishq ne gaalib nikamma kar diya

varna ham bhee aadamee the kaam ke 

  

 Ishq ruined 'Ghalib'

 Otherwise we were also men of work 

~Mirza Ghalib


Mirza Ghalib poems


2. मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का।

उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।।


mohabbat mein nahin hai farq jeene aur marane ka

usee ko dekh kar jeete hain jis kaafir pe dam nikale.


There is no difference between living and dying in love

Live by looking at the one on whom the infidel dies.


~Mirza ghalib


Mirza Ghalib best shayari


Mirza Ghalib ke sher 



3. उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़।

वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।


Un ke dekhe se jo aa jaatee hai munh par raunaq

vo samajhate hain ki beemaar ka haal achchha hai


The sight of those who brings brightness on the face

they understand that the sick are well 

~Mirza ghalib


Mirza Ghalib Quotes


4. इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा।

लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।।


Is saadagee pe kaun na mar jae ai khuda

ladate hain aur haath mein talavaar bhee nahin


O God, who will not die on this simplicity

 fight and don't even have a sword in hand.


~Mirza ghalib

Mirza Ghalib shayari in English 


5. रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल।

जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।।


ragon mein daudate phirane ke ham nahin qail

jab aankh hee se na tapaka to phir lahoo kya hai.


We are not inclined to run around in our veins

What is blood when it does not drip from the eyes itself?

~Mirza ghalib 

मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर 



6.इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।

दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।


Isharat-e-qatara hai dariya mein fana ho jaana

dard ka had se guzarana hai dava ho jaana.


Ishrat-e-Qatara is to perish in the river

To pass the limit of pain is to become medicine 

~Miza ghalib


मिर्ज़ा ग़ालिब शेर 


गालिब के रूहानी शेर 



7. न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता।

डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता।।


na tha kuchh to khuda tha kuchh na hota to khuda hota

duboya mujh ko hone ne na hota main to kya hota


If there was nothing then there was God, if there was nothing there would have been God

What would I have been if I hadn't drowned 


~Mirza Ghalib


मिर्जा गालिब के मशहूर शेर


8. हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद।

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है ।।


Ham ko un se vafa kee hai ummeed

jo nahin jaanate vafa kya hai


We expect their loyalty

who don't know what is loyalty.


~Mirza ghalib


मिर्जा गालिब की दर्द भरी शायरी


9. आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे।

ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे।।


Aaeena kyoon na doon ki tamaasha kahen jise

aisa kahaan se laoon ki tujh sa kahen jise 


Why not give a mirror to call it a spectacle

From where can I get someone who can be called like you 


~Mirza Ghalib


ग़ालिब की शायरी हिंदी में Motivation


10. रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ग़ालिब।

कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था।।


Rekhte ke tumheen ustaad nahin ho gaalib

kahate hain agale zamaane mein koee meer bhee tha 


You are not the master of Rekhte's 'Ghalib'

 It is said that there was a 'Mir' in the next era.


~Mirza Ghalib


Mirza Ghalib ki Dard Bhari shayari 


Mirza Ghalib shayari image 


11. आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक।

कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।।


Aah ko chaahie ik umr asar hote tak

kaun jeeta hai tiree zulf ke sar hote tak 


Ah, it takes a while to have an effect

Who lives till your hair is on your head.

 ~Mirza ghalib


Mirza Ghalib Best poetry 


12. मौत का एक दिन मुअय्यन है।

नींद क्यूँ रात भर नहीं आती।।


Maut ka ek din muayyan hai

neend kyoon raat bhar nahin aatee


there is a certain day of death

why can't sleep all night


~Mirza Ghalib


दीवान-ए-ग़ालिब इन हिंदी


13. ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह।

कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता।।


Ye kahaan kee dostee hai ki bane hain dost naaseh

koee chaaraasaaz hota koee gam-gusaar hota.


Where is this friendship that we have become friends

Some would have been a charasaz, some would have been sad


~Mirza Ghalib


Ghalib shayari on zindagi 


Ghalib ki shayari ( photo social media)


14. पूछते हैं वो कि ग़ालिब कौन है।

कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या।।


Poochhate hain vo ki gaalib kaun hai

koee batalao ki ham batalaen kya.


They ask who is 'Ghalib'

someone tell me what should we tell. 

~ mirza ghalib


Mirza Ghalib poetry in Hindi 


15. काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब।

शर्म तुम को मगर नहीं आती।।


kaaba kis munh se jaoge gaalib

sharm tum ko magar nahin aatee 


Which way will you go to Kaaba Ghalib

you don't feel ashamed.


~Mirza Ghalib


Ghalib love shayari 


16. मरते हैं आरज़ू में मरने की।

मौत आती है पर नहीं आती।।


Marate hain aarazoo mein marane kee

maut aatee hai par nahin aatee


Die in the desire to die

death comes but does not come 


~mirza ghalib


Ghalib ki shayari 


गालिब की शायरी 



17.आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए।

साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।।


Aaeena dekh apana sa munh le ke rah gae

saahab ko dil na dene pe kitana guroor tha 


Looking at the mirror, you remained with your own face

 I was so proud of not giving my heart to sir 


~Mirza Ghalib


Ghalib shayari status 


18. फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं।

फिर वही ज़िंदगी हमारी है।।


Phir usee bevafa pe marate hain

phir vahee zindagee hamaaree hai 


then die on the same infidelity

then that's our life.


~Mira ghalib


Ghalib shayari 


19. कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग।

हम को जीने की भी उम्मीद नहीं।।


Kahate hain jeete hain ummeed pe log

ham ko jeene kee bhee ummeed nahin.


It is said that people live on hope

we don't even expect to live

~Mirza ghalib


मिर्ज़ा गालिब शायरी हिंदी में 


20. कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब।

गालियाँ खा के बे-मज़ा न हुआ।।


Kitane sheereen hain tere lab ki raqeeb

gaaliyaan kha ke be-maza na hua.


How sweet are the lovers of your lips

Did not have any fun by taking abuses.


~Mirza ghalib


Mirza Ghalib shayari 


21. तुम सलामत रहो हज़ार बरस।

हर बरस के हों दिन पचास हज़ार।। 


tum salaamat raho hazaar baras

har baras ke hon din pachaas hazaar 


you live a thousand years

there should be fifty thousand days in every year

~Mirza ghalib 









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