राहत इंदौरी के Death Anniversary पर पढ़िए इनके टॉप 15 शेर जो आप को हौसला से भर देगी

 राहत इंदौरी के शेर: दोस्तों आज राहत इंदौरी 

का दूसरी बरसी हैं । राहत साहब के लिखें शेर 

हमे जीने और जिंदगी में कुछ करने की हौसला 

देती हैं। राहत इंदौरी एक ऐसे जिंदा दिल इंसान 

थे जो जुल्म के आंखो में आंखे मिलाकर शेर 

पढ़ते थे। आज भले ही राहत साहब हमारे बीच न 

हो लेकिन उनकी शायरी उन्हें आज भी लोगों के 

दिलों में जिंदा रखा हैं। 




आइए जानते हैं राहत इंदौरी के टॉप 15 शेर।



1. शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधियों से कह दो औकात में रहे ।

~राहत इंदौरी 


2. ज़मज़मो क़ौसरो तसनीम नहीं लिख सकता.
या नबी आपकी ताज़ीम नहीं लिख सकता.

मैं अगर सात समंदर भी निचोडूं "राहत",
आपके नाम की इक मीम नहीं लिख सकता.

~राहत इंदौरी 


3. मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहां तो हर मौसम को गुजर जानें की जल्दी थी

~राहत इंदौरी



4. मैं ना जुगनू हूं ना मैं दिया हू ना मैं तारा हूं
रोशनी वाले मेरे नाम से क्यों जलते हैं।

~राहत इंदौर 


5. आंख में पानी रखो होंठो पर चिंगारी रखो
जिंदा रहना हैं तो तरकीबें बहुत सारी रखो

~राहत इंदौरी 


6. जिंदगी की हर कहानी बे असर हो जायेगी
हम ना होंगे तो ये दुनियां दर बदर हो जायेगी।

~राहत इंदौरी



7. चरागों को उछाला जा रहा है
हवा पर रोब डाला जा रहा हैं 
जनाजे पर मेरे लिख देना यारों 
मोहब्बत करने वाला जा रहा हैं 


~राहत इंदौरी 


8. वो चाहता था काश ख़रीद ले मेरा
मैं उसके ताज की क़ीमत लगा कर लौट आया

~राहत इंदौरी 






9. हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं

~राहत इंदौरी 


10. आज जो साहिब ए मसनद हैं कल नही होंगे
कराए दार है जातीय मकान थोड़ी हैं 


~राहत इंदौरी 


11. अभी गनीमत हैं सब्र मेरा
अभी लबालब भरा नहीं हू
वो मुझको मुर्दा समझ रहा हैं
उससे कहो अभी मरा नहीं हूं।

~राहत इंदौरी 


12. अब कहां ढूंढने जाओगे हमारे कातिल को
आप तो कत्ल का इल्ज़ाम हमीं पर रख दो

~राहत इंदौरी


13. हैं दुनियां छोड़ना मंजूर लेकिन
वतन को छोड़कर जानें का नई

~राहत इंदौरी


14. हों लाख जुल्म लेकिन हम बद्दुआ नहीं देंगे
ये जमी हमारी मां हैं इसको दगा नही देंगे 


~राहत इंदौरी


15. अड़े थे जिद पर की सूरज बना के छोड़ेंगे
पसीने छूट गए एक दिया बनाने में।

मेरी निगाह में वो शख़्स आदमी भी नहीं
जिसे जमाना लगा हैं खुदा बनने में।

~राहत इंदौरी 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ