Akbar allahabadi biography, अकबर इलाहाबादी जीवन परिचय, अकबर इलाहाबादी शायरी अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल
Akbar allahabadi shayari : अकबर इलाहाबादी हिंदुस्तान के सबसे बड़े और मशहूर उर्दू शायर ( Urdu shayar ) थे, अक़बर इलाहाबादी { Akbar allahabadi } के शेर आज के दौड़ भाग भरी जिंदगी में लोगों के लिए आईना हैं। ये खुश मिजाज़, दिलेर के साथ साथ पारंपरिक और इंकलाबी शायर भी थे।
![]() |
अकबर इलाहाबादी शायरी |
अक़बर इलाहाबादी { Akbar Allahabadi} का जन्म 16 नवंबर 1846 को इलाहाबाद मौजूदा ( प्रयागराज) में हुआ था। इनका पूरा नाम सय्यद अकबर हुसैन रिज़वी था। इनके वालिद का नाम तफज्जुल हुसैन था जो नायाब तहसीलदार थे।अकबर की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई, उसके बाद इनका दाखिला एक मिशन स्कूल में कराया गया था। किंतु घर का आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण महज़ 16 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी थी।
हालांकि अकबर जहनी तौर पर काफ़ी मजबूत थे, फारसी उर्दू और अंग्रेजी की शिक्षा हासिल किया, बाद में 1867 में इन्होंने वकालत {Advocate Digree} की डिग्री हासिल की उसके बाद ये एक बेहतरीन वकील के तौर पर कार्य करने लगे, इनके मेहनत और लगन के बाद में इनका प्रमोशन सेशन जज { Sesion Judge } के तौर पर हो गया।
रिटायर के बाद अकबर की बीवी का इंतकाल हो गया , इस गम से निकल ही रहे थे की बाद में इनके जवान बेटे का भी इंतकाल हो गया जिसे ये जान से ज्यादा मानते थे। इसके बाद इनपर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा । अकबर इलाहाबादी इन गमों से उबर नहीं पाए और अपने गमों को मिटाने के लिए शायरी का जरिया बनाया और लोगों तक पहुंचाया
अकबर के लिखे शेर जमाने भर में फेमस हुआ, इन्होंने अपनी शायरी में आज के दौर की तर्जुमानी कि हैं।
![]() |
Akbar allahabadi shayari |
अकबर इलाहाबादी के ग़ज़ल / Akabar allahabadi Ghazals
• हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है।
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है।।
उस मय से नहीं मतलब दिल जिस से है बेगाना।
मक़्सूद है उस मय से दिल ही में जो खिंचती है।।
वाँ दिल में कि सदमे दो याँ जी में कि सब सह लो।
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है।।
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से।
हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी है।।
सूरज में लगे धब्बा फ़ितरत के करिश्मे हैं।
बुत हम को कहें काफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी है।।
तालीम का शोर ऐसा तहज़ीब का ग़ुल इतना।
बरकत जो नहीं होती निय्यत की ख़राबी है।।
अक़बर इलाहाबादी ग़ज़ल
• आह जो दिल से निकाली जाएगी।
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।।
क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद को।
और इक बोतल चढ़ा ली जाएगी।।
इस नज़ाकत पर ये शमशीर-ए-जफ़ा।
आप से क्यूँकर सँभाली जाएगी।।
शैख़ की दावत में मय का काम क्या।
एहतियातन कुछ मँगा ली जाएगी।।
ग़ज़ल अकबर इलाहाबादी
• साँस लेते हुए भी डरता हूँ।।
ये न समझें कि आह करता हूँ।।
इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है।
साँस लेता हूँ बात करता हूँ।।
शैख़ साहब ख़ुदा से डरते हों।
मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ।।
आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज।
शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ।।
ये बड़ा ऐब मुझ में है अकबर।।
दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ।।
Best ghazals of Akbar allahabadi
![]() |
Akabar allahabadi shayari |
• दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ।
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ।।
ज़िंदा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी।
हर-चंद कि हूँ होश में हुश्यार नहीं हूँ।।
अफ़्सुर्दा हूँ इबरत से दवा की नहीं हाजत।
ग़म का मुझे ये ज़ोफ़ है बीमार नहीं हूँ।।
वो गुल हूँ ख़िज़ाँ ने जिसे बर्बाद किया है।
उलझूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं हूँ।।
या रब मुझे महफ़ूज़ रख उस बुत के सितम से।
मैं उस की इनायत का तलबगार नहीं हूँ।।
गो दावा-ए-तक़्वा नहीं दरगाह-ए-ख़ुदा में।
बुत जिस से हों ख़ुश ऐसा गुनहगार नहीं हूँ।।
अफ़्सुर्दगी ओ ज़ोफ़ की कुछ हद नहीं अकबर।
काफ़िर के मुक़ाबिल में भी दीं-दार नहीं हूँ।।
Akbar allahabadi ghazal
• हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना।
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।।
बलाएँ लेते हैं उन की हम उन पर जान देते हैं।
ये सौदा दीद के क़ाबिल है क्या लेना है क्या देना।।
ख़ुदा की याद में महवियत-ए-दिल बादशाही है।
मगर आसाँ नहीं है सारी दुनिया को भुला देना।।
ये तर्ज़ एहसान करने का तुम्हीं को ज़ेब देता है।
मरज़ में मुब्तला कर के मरीज़ों को दवा देना।।
अक़बर इलाहाबादी ग़ज़ल
• दिल मिरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला।
बुत के बंदे मिले अल्लाह का बंदा न मिला।।
वाह क्या राह दिखाई है हमें मुर्शिद ने।
कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला।।
रंग चेहरे का तो कॉलेज ने भी रक्खा क़ाइम।
रंग-ए-बातिन में मगर बाप से बेटा न मिला।।
सय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लाए।
शैख़ क़ुरआन दिखाते फिरे पैसा न मिला।।
बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस।
एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला।।
![]() |
अक़बर इलाहाबादी शायरी |
अक़बर इलाहाबादी शायरी / Akabar Allahabadi shayari
• दुनियां में हु दुनियां का तलबगार नही हु।।
बाजार से गुजरा हु मगर खरीदार नहीं हु।।
Duniya me hu duniyaa talabgar nahi hu.
Bazar se gujara hu magar kharidaar nahi hu.
~Akabar allahabadi
Akabar allahabadi shayari
•मजहबी बहस मैने की ही नहीं।।
फालतू का अक्ल मुझ में थी ही नहीं।।
Mazahabi bahas maine ki hi nahi
Falatu ka akl mujh me thi hi nahi.
~Akabar allahabadi
Akbar Allahabadi shayari in hindi
•आई होगी किसी को हिज्र में मौत।।
मुझे तो नींद में भी नही आती हैं।।
Aayi hogi kisi ko hizra me maut
Mujhe to nind me bhi nahi aati.
~Akabar allahabadi
Best shayari of akabar allahabadi
![]() |
Akbar allahabadi shayari |
•रहता है इबादत में हमे मौत का खटका।।
हम याद ये खुदा करते हैं कर न ले खुदा याद।।
Rahata hai ibadat me hame maut ka khataka
Ham yaad e khuda karte hai kar na le khuda yaad hamko.
~Akabar Allahabadi
अकबर इलाहाबादी शायरी
• हंगामा हैं क्यों बरपा जो थोड़ी सी पी ली हैं।।
डाका तो नही मारा चोरी तो नही की हैं।।
Hangama hai kyu barapa Jo thodi si pi Li hai.
Daka to nahi mara chori to nahi ki hai.
~Akabar allahabadi
Akabar prayagraji shayari
•आह जो दिल से निकाली जाएगी।।
क्या समझते हो खाली जाएगी।।
Aah jo dil se nikali jayegi
Kya samjhte ho khali jayegi.
~Akabar allahabadi
अकबर की शायरी / Akbar Allahabadi in Urdu
• खुदा से मांग जो कुछ मांगना हैं अकबर।।
यहीं वो दर हैं जिल्लत नही सवाल के बाद।।
khuda se maang jo kuch mangna hai akabar
Yahi vo dar hai jillat nahi sawal ke baad.
~Akabar इलाहाबादी
ख़ुदा महफूज़ रखें आपको तीनों बलाओं से
![]() |
Akbar allahabadi shayari |
• ख़ुदा महफूज़ रखें आपको तीनों बलाओं से।।
वकीलों से हक़ीमों से हसीनों की निगाहों से।।
Khuda mahafooz rakhe aapko tino balaon se
Vakilon se haqimon se hassenon ki nigahon se
~अकबर इलाहाबादी
अकबर इलाहाबादी के शेर
•बताऊं आप को मरने के बाद क्या होगा।।
पुलाव खायेंगे अहबाब और फातिहा होगा।।
Bataun aap ko marne ke baad kya hoga
Pulao khayenge Ahabab aur Fatiha hoga.
~अकबर इलाहाबादी
अकबर इलाहाबादी शेर शायरी
• हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना।।
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।।
Haya se sar jhuka lena ada se muskura dena
Hasinon ko bhi kitna sahal hai bijali gira dena.
~अकबर allahabadi
Akabar allahabadi shayari
• मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं।।
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं।।
Mazahabi bahas maine ki hi nahi
Falatu akl mujh me thi hi nahi.
~Akabar allahabadi
Akabar allahabadi poetry
• लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को।।
मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं।।
Log kahate hai badalata hai jamana sab ko.
Mard vo hai Jo jamane ko badal dete hai.
~Akabar allahabadi
अकबर इलाहाबादी शायरी
• बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है।।
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता।।
Bas Jaan gaya mai teri pahachan yahi hai
Tu dil me to aata hai samjh me nahi aata.
~Akabar allahabadi
Khuda mahafooz rakhe Akabar allahabadi
• जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख।।
हुक्म होता है कि अपना नामा-ए-आमाल देख।।
Jab mai kahata hu ki ya allah mera haal dekh
Hukm hota hai ki apna apna nama e aamal dekh.
~Akabar allahabadi
Love shayari Akbar allahabadi
•सौ जान से हो जाऊँगा राज़ी मैं सज़ा पर।।
पहले वो मुझे अपना गुनहगार तो कर ले।।
Sau Jaan se ho jaunga Raji mai saja par
Pahale vo mujhe apna gunahgar to kar le
~अकबर इलाहाबादी
Akbar Allahabadi poetry on education
• लोग कहते हैं कि बद-नामी से बचना चाहिए।।
कह दो बे इस के जवानी का मज़ा मिलता नहीं।।
Log kahate hai ki badnami se bachana chahiye.
Kah do be is ke javani ka maza milta nahi.
~Akabar allahabadi
Akbar Allahabadi famous poetry
• जवानी की दुआ लड़कों को ना-हक़ लोग देते हैं।।
यही लड़के मिटाते हैं जवानी को जवाँ हो कर।।
Javani ki dua ladko ko na haq log dete hai
Yahi ladke mitate hai javani ko javaa ho kar
~Akabar allahabadi
खुदा महफूज रखे अकबर इलाहाबादी
• बोले कि तुझ को दीन की इस्लाह फ़र्ज़ है।।
मैं चल दिया ये कह के कि आदाब अर्ज़ है।।
Bole ki tujh ko din ki isllah farz hai.
Mai chal diya ye kah ke ki adab arz hai.
~Akabar allahabadi
0 टिप्पणियाँ