Mohammad Alvi: मोहम्मद अल्वी का जीवन परिचय और उनके लिखें मशहूर गजलें और शेर जानिए

Mohammad Alvi: आधुनिक उर्दू और नए युग के सबसे मकबूल शायर मोहम्मद अल्वी हैं, इनका जन्म 10 अप्रैल 1927 को भारत के अहमदाबाद ( गुजरात) में हुआ था, इन्हें पढ़ने के लिए दिल्ली के "जामिया मिल्लिया इस्लामिया" के बच्चो के स्कूल में दाखिला कराया गया, किंतु इनका मन पढ़ाई में नहीं लगा और महज़ कक्षा 5 तक ही पढ़ कर वापस घर चले आए, और घर वालों से कहां मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगता इस लिए अब पढ़ाई नहीं करेंगे।

मोहम्मद अल्वी ( file photo)


इनके घर का माहौल पूरी तरह से साहित्यिक और उर्दू अदब के परंपरा को निभाने वाला था, इस लिए मोहम्मद अल्वी के खून में ही शायरी दौड़ रही थी।

मोहम्मद अल्वी ने पढ़ाई भले ही छोड़ दी थी लेकिन उपन्यास और उर्दू विधा के किताब पढ़ते रहते थे, कई ऐतिहासिक उपन्यास पढ़ने के बाद इन्होंने ने कहानी लिखने की शुरुआत की जो लोगों को पसंद आने लगीं।

इसी बीच इनका मुंबई में आना जाना रहता था एक दिन मुंबई में ही "स‘आदत हसन मंटो" से मुलाकात हो गई, जिसके बाद उन्होंने मंटो से काफ़ी फन सीखा लेकिन इतिहास और अफसाना पर ज्यादा बाते करते और लिखते थे इस लिए मोहम्मद अल्वी को कम पसंद आता था , क्योंकि इनका मन अक्सर आधुनिक और ताज़ा मसलों पर बाते करना और लिखना पसंद करते थे। 

इसलिए इन्होंने 1947 में अपना पहला ग़ज़ल अपने तरीक़े से लिखा, जो आधुनिक दुनियां से मेल खाती थीं।

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इनके लिखें क़िताब..

सन 1963 में इन्होंने अपनी पहली किताब लिखी..

1963  ख़ाली मकान 

1967आखिरी दिन की तलास 

1978 तीसरी किताब 

1992 चौथा आसमान 

1995 रात इधर उधर रोशन

इस तरह इन्होंने एक के बाद एक क़िताब लिखें, जो उस दौर में सुपर हिट साबित हुई, इनके लिखें पांचों क़िताब आज भी लोग पढ़ते।

इनके इस कारनामें के लिए 1992 में इन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

मोहम्मद अल्वी उर्दू अदब के सबसे चमकते हुए सितारे थे, इन्होंने आखिरी दम तक लिखना नहीं छोड़ा और प्रधानमंत्री के अच्छे दिन के तर्क पर इनकी लिखी गज़ल जो आज हर हिंदुस्तानी पढ़ता हैं.

अच्छे दिन कब आयेंगे

क्या यूं ही मर जायेंगे 

मुंबई में ठहरेंगे कहां 

दिल्ली में क्या खायेंगे.


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29 जनवरी 2018 को मोहम्मद अल्वी इस दुनियां को अलविदा कह गए थे, लेकिन इनके लिखें शेर आज भी इनके जिंदा होने के सबूत देते हैं।


मोहम्मद अल्वी ( file photo)


आइए जानते हैं इनके लिखें बेहतरीन शेर..


.रोज़ अच्छे नहीं लगते आंसू
खास मौके पर ही मज़ा देते हैं


.अंधेरा है कैसे तेरा खत पढू
लिफाफे में कुछ रोशनी भेज दे


.धूप ने गुज़ारिश की
एक बूंद बारिश की


.कुछ तो इस दिल को सजा दी जाए
उसकी तस्वीर  हटा  दी  जाय

 
.अच्छे दिन कब आयेंगे
क्या यूं ही मर जायेंगे


.कभी आंखे गुम हैं क़िताब में
कभी क़िताब गुम हैं आंखो में


.देखा तो सब के सर पर गुनाहों का बोझ था
खुश थे तमाम नेकिया दरिया में डाल कर

 

.हाय वो लोग जो देखें भी नही जाते

याद  आते हैं तो रूला देते हैं


.अभी दो चार बूंदे गिरी हैं

और मौसम नीला हो गया










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