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साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय , साहिर लुधियानवी के शेर )
Sahir ludhiyanavi: साहिर लुधियानवी ( Urdu shayari ) की दुनियां के बेताज बादशाह के रूप में जानें जाते हैं, साहिर लुधियानवी अपनी शायरी से लोगों के दिलों में इश्क़ से लेकर इंकलाब तक पैदा किया। साहिर लुधियानवी का जन्म 8 मार्च 1921 को लुधियाना में हुआ था, इनका बचपन का नाम " अब्दुल हई फ़ज़ल मोहम्मद" था। इनके वालिद "चौधरी फ़ज़ल मोहम्मद" था तथा मां का नाम सरदार बेगम थी। सरदार बेगम चौधरी फजल मोहम्मद की खुफिया बीवी थी, साहिर लुधियानवी सरदार बेगम की पहली औलाद थी। साहिर के पैदा होने के बाद सरदार बेगम ने अपने रिश्ते को नया शक्ल देने की बात कहीं लेकिन साहिर लुधियानवी के पिता राजी न हुए, जिसके बाद सरदार बेगम ने साहिर को लेकर अलग हो गई, और इनका परवरिश ननिहाल में हुई। उसके बाद साहिर लुधियानवी का दाखिला मालवा खालिसा स्कूल में करा दिया गया। और वही से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी, साहिर मैट्रिक पास करने के बाद उर्दू शायरी लिखने व कहने लगे।
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साहिर लुधियानवी |
1939 में साहिर लुधियानवी ने लुधियाना के कॉलेज बीए में दाखिला ले लिया। उस दौरान देश की हालत नाज़ुक थी जिसको देखकर उनके अंदर विद्रोह और बगावत पैदा होने लगीं। साहिर लुधियानवी जब बीए (B A) के लास्ट साल में अपने ही क्लास के एक सहपाठी ईशर कौर से इश्क़ हो गया। लेकिन एक तरफा इश्क होने के कारण साहिर लुधियानवी को कॉलेज से निकाल दिया गया। और वो बीए नही कर सके। लेकिन माहौल और फिज़ा ने इनको एक रूमानी शायर बना दिया। साहिर लुधियानवी ने 1944 में अपना पहला काव्य संग्रह "तल्ख़ियां" प्रकाशित किया। जो लोगों के बीच काफ़ी ज्यादा पॉपुलर हुई और इनको नया पहचान मिली,उसके बाद साहिर ने एक से बढ़ कर एक गजलें और शेर लिखने लगे । इसके बाद साहिर लाहौर चले गए और वहां दयाल सिंह कॉलेज में दाखिला ले लिया, लेकिन अपने इंकलाबी विचार और सियासी उलट फेर की वजह से वहां की कॉलेज से भी निकाले गए। इसके बाद साहिर एकदम से टूट गए और पढ़ाई से ध्यान हटा लिया।
1949 में साहिर लुधियानवी ने फ़िल्मों के लिए गीत लिखना शुरू कर दिया, और बॉलीवुड में एक से बढ़कर गाने लिखें । जो लोगों को आज भी बहुत पसंद हैं।
हर दौर में इंकलाब का पहला नीव शायरों के शायरी ने रखा हैं अगर उनमें से सबसे ज्यादा इंकलाब की शायरी लिखने वालों में साहिर लुधियानवी का नाम पहले आता है। साहिर साहब ने मोहब्बत करने वालों के लिए अपनी (Urdu shayari) के गजलें और शेर के ज़रिए उन्हें नया रास्ता दिखाया हैं । साहिर लुधियानवी ने जितने भी गाने फ़िल्मों के लिए लिखे है वो आज अमर हो गया हैं। अगर देखा जाय तो साहिर का स्थान आज के दौर में कोई भी शायर नहीं ले सकता। साहिर लुधियानवी ने मोहब्बत से लेकर जंग तक और जमी से लेकर आसमा तक की शायरी की हैं।
साहिर लुधियानवी को सन 1971 में "पद्मश्री" से नवाजा गया और 1972 में महाराष्ट्र सरकार ने "जस्टिस ऑफ पीस" अवॉर्ड दिया।
25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से 59 साल की उम्र में साहिर लुधियानवी इस दुनियां को अलविदा कह गए और अपने पीछे कभी न मिटने वाले शेर दे गए।
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