Urdu Poetry: फैज़ अहमद फ़ैज़ को इंकलाबी शायर क्यों कहां जाता हैं?

Urdu Shayari : फैज़ अहमद फ़ैज़ ( Faiz Ahmed Faiz)पाकिस्तान के सबसे इंकलाबी और बागी शायरों में गिने जानें वाले शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जिन्होंने ने पाकिस्तान के हुक्मरानों को अपने शेरों के दम पर उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। ये आवाम के दिलों में बसने वाले सच्चे शायर थे। जुल्म को खुली चुनौती देते थे और उसका खुल के सामना करते थे। फ़ैज़ साहब के शेर रूहानियत, अहसास–ओ–शिद्दत से भरपूर होती हैं, इनके शेर जिंदगी को नया मकान दिखाती हैं और और इंकलाब की नीव रखती हैं फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के शेरों से समझा जा सकता है की फ़ैज़ अहमद के विचार इंकलाबी थे। 

फैज़ अहमद फैज़ ( फ़ोटो social media)




आइए जानते हैं उनके कुछ गजलों और शेरों को जो आप में जोश भर देंगे


1. दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के वो जा रहा हैं कोई शब–ए –गम गुजार के


दुनियां ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझसे भी दिल फरेब हैं गम रोज़गार के


भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज फ़ैज़ मत पूछ वलवले दिल–ए –ना –कर्दा–कार के


2. और भी दुःख है जमाने में मोहब्बत के सिवा राहते और भी है वस्ल के राहत के सिवा


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3.दिल ना उम्मीद ही सही नाकाम ही तो हैं लंबी हैं गम की शाम मगर शाम ही तो हैं।


4. और क्या देखने को बाकी हैं आपसे दिल लगा के देख लिया।


5. तुम्हारी याद के जब ज़ख्म भरने लगते हैं तो किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं।


7.आप की याद आती रही रात भर चांदनी दिल दुखाती रही रात भर।


8. हम परवरिश लौह वो कलम करते रहेंगे जो दिल पे गुजरती हैं रकम करते रहेंगे।


9.हर सदा पर लगे है कान यहां दिल संभालते रहो जबां की तरह।





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