Kumar vishwas shayari: उर्दू हिन्दी अदब के मशहूर शायर और कवि कुमार विश्वास के बेहतरीन शायरी पढ़िए

Kumar Vishwas poetry : दोस्तों आज के युग के सबसे लोकप्रिय और मशहूर कवि कुमार विश्वास को माना जाता हैं, कुमार विश्वास हिंदी उर्दू को मिलाकर जो शेर कहते हैं वो लोगों के दिलों पर छा जाता हैं, कुमार विश्वास हिंदी के सबसे बड़े ज्ञाता और प्रोफ़ेसर भी हैं, कहा जाता हैं की हिंदी का जितना गहरा गहन इन्हे हैं शायद ही किसी को होगा, कुमार विश्वास आज के युग कवि भी कहें जाते हैं, इनके कविता में प्रेम और पीढ़ा का बेहतरीन गठजोड़ देखने को मिलता हैं, कुमार विश्वास हिंदी और उर्दू को सगी बहन मानते हैं, और कहते हैं कि बिना उर्दू के हिंदी और बिना हिंदी के उर्दू नहीं बोला जा सकता, कविता लोगो के जीवन को बदलता हैं, कविता शायरी लोगों के दिलों को जोड़ता हैं, शायरी इंसान को इंसान बनाता हैं, शायरी दुनियां को समझने का तरीका बताता हैं। कुमार विश्वास शायरी में अपने एक नया पन डाल देते हैं जिससे सुनने वालों के दिलों पर गहरा और अमिट छाप छोड़ देता हैं। दोस्तों अगर कुमार विश्वास जी के बारे में पूरी जानकारी जानना चाहते हैं तो कुमार विश्वास इस लिंक पर क्लिक कर के इनके बारे में ख़ास जानकारी पढ़ सकते  हैं। कुमार विश्वास की शायरी न सिर्फ़ भारत में पसंद की जाती हैं बल्कि, सऊदी अरब, दुबई, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, इंग्लैंड और यूनाइटेड जैसे देशों में भी सुनी जाती हैं। 


Kumar vishwas shayari 


आइए जानते हैं इनके ख़ास गजलें..


• आबशारों की याद आती है

फिर किनारों की याद आती है


ज़ख़्म पहले उभर के आते हैं

फिर हज़ारों की याद आती है


आइने में निहार कर ख़ुद को

कुछ इशारों की याद आती है


और तो मुझ को याद क्या आता

उन पुकारों की याद आती है


जो नहीं हैं मगर उन्हीं से हूँ

उन नज़ारों की याद आती है


आसमाँ की सियाह रातों को

अब सितारों की याद आती है



• ये ख़यालों की बद-हवासी है

या तिरे नाम की उदासी है


तुम ने हम को तबाह कर डाला

बात होने को ये ज़रा सी है


आइने के लिए तो पतली हैं

एक काबा है एक काशी है



• तुम लाख चाहे मेरी आफ़त में जान रखना

पर अपने वास्ते भी कुछ इम्तिहान रखना


पगली सी एक लड़की से शहर ये ख़फ़ा है

वो चाहती है पलकों पे आसमान रखना


वो शख़्स काम का है दो ऐब भी हैं उस में

इक सर उठाना दूजा मुँह में ज़बान रखना


केवल फ़क़ीरों को है ये कामयाबी हासिल

मस्ती से जीना और ख़ुश सारा जहान रखना



• हम कहाँ हैं ये पता लो तुम भी

बात आधी तो सँभालो तुम भी


हम को आँखों में न आँजो लेकिन

ख़ुद को ख़ुद पर तो सजा लो तुम भी


दिल लगाया ही नहीं था तुम ने

दिल-लगी की थी मज़ा लो तुम भी


जिस्म की नींद में सोने वालों

रूह में ख़्वाब तो पालो तुम भी


कुमार विश्वास शायरी


• कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है


• जिस्म चादर सा बिछ गया होगा

रूह सिलवट हटा रही होगी


•चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की ख़ुशबुएँ

राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए



• अपने ही आप से इस तरह हुए हैं रुख़्सत

साँस को छोड़ दिया जिस सम्त भी जाना चाहे 



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