जौन एलिया: रूहानियत शेर लिखने वाले
शायर सैय्यद जौन एलिया का पैदाइश उत्तर
प्रदेश ( UP ) के अमरोहा में 14 दिसंबर 1931
को हुआ था, ये एक इल्मी ( विद्वान ) घराने से
ताल्लुक रखते थे। इनके पिता सय्यद शफीक
हसन एलिया खुद एक ऊंचे दर्जे के शायर थे,
और अपने पिता से ही इन्होंने ने शायरी का फन
सीखा , जौन एलिया एक बेहद ही गरीब परिवार
से ताल्लुक रखते थे इसलिए इन्हे गरीबी का
काफी तजुर्बा था। इन्होंने ने अपने उम्र के 8 साल
में ही पहला इश्क किया और शेर कहा।
जौन एलिया ने अपना शुरुआती शिक्षा अमरोहा
के मदरसे से ही शुरू की वहां इन्होंने उर्दू, अरबी,
फारसी को सीखा । उसके बाद इन्होंने ने डिग्री
कॉलेज से (graduation) की डिग्री हासिल
की। उसके बाद विभाजन के समय इनके भाई
पाकिस्तान चले गए, लेकिन जॉन एलिया
हिंदुस्तान में ही रुके रहे लेकिन कुछ सालो बाद
मां बाप का इंतकाल होने के बाद जॉन एलिया
का यहां गुजारा करना मुश्किल हो गया तो 1956
में ये भी अपने भाई के पास पाकिस्तान चले गए,
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लेकिन वहां जाकर ये कहा करते थे की
"पाकिस्तान आ कर मैं हिंदुस्तानी हो गया" उसके
बाद जॉन एलिया वहीं पर रहे और वहीं से गजलें
नज्में और शेर लिखने लगे , जो आज पूरे विश्व में
फेमश है।
जॉन एलिया आज के दौर में युवाओं के सबसे
चहेते शायर हैं क्यों की इनके शेर युवाओं के
दिलों हाल की बखूबी तर्जुमानी की हैं। जिस
वजह से ये युवाओं के सबसे प्रिय शायर हैं।
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जौन एलिया के मशहूर 10 ग़ज़ल और शेर.
1. अपना खाका लगता हू
एक तमाशा लगता हू।
आईने को जंग लगा
अब मैं कैसा लगता हू ।
अब मैं कोई शख्स नही
उसका साया लगता हू।
सारे रिश्ते प्यासे हैं
क्या मैं दरिया लगाया हू।
2. एक नया रिश्ता पैदा क्यों करें हम
बिछड़ना हैं तो झगड़ा क्यों करे हम ।
ये काफ़ी हैं की हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा दारी का दावा क्यों करे हम।
हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करे हम।
3. जो गुजारी न जा सकी हमसे
हमने वो जिंदगी गुजरी हैं।।
4. ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता
एक ही शख्स था जहान में क्या।।
5. मैं भी बहुत अजीब हू इतना अजीब की बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।।
6. बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया हैं क्या।।
7. सारी दुनियां के गम हमारे हैं
सितम ये हैं की हम तुम्हारे हैं।।
8. हमको यारों ने याद भी न रखा
जौन यारों के यार थे हम तो।
9. और तो क्या था बेचने के लिए
अपने आंखो के ख़्वाब बेचे है हमने।।
10. यूं जो तकता हैं आसमान में तू
कोई रहता हैं आसमान में क्या।।
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