Bhagat Singh: जानें भगत सिंह की कहानी और उनके विचार

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Bhagat Singh Birthday: भारत माता के वीर सपूत भगत सिंह का आज हैं 115 वा जन्मदिन, शाहिद ए आज़म भगत सिंह हिंदुस्तान को आज़ादी दिलाने के लिए महज़ 23 साल की उम्र में हंसते हुए फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे। शहीद–ए–आज़म भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 में पंजाब के जरवाला में हुआ था। इनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। भगत सिंह जब पैदा हुए थे तो इनके पिता सरदार किशन सिंह जेल में थे, और इनके चाचा अजीत सिंह बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे, देखा जाय तो देश भक्ति भगत सिंह के खून में ही था, बचपन से ही भारत को आज़ादी दिलाने के लिए सपने देखने लगे । भगत सिंह के आस पास रहने वालों पर आय दिन ब्रिटिश शासन उन पर जुल्म करती थी, जिसे देखकर भगत सिंह के मन में प्रतिशोध का ज्वाला भड़कता रहता था।

भगत सिंह अपने छोटे से जीवन में इतना बड़ा कारनामा कर दिया की हर दौर का युवा पीढ़ी भगत सिंह को अपना यूथ आइकॉन ( yuth icone ) मानते हैं। 


भगत सिंह ( फ़ोटो विकिपीडिया)


भगत सिंह क्रांतिकारी..




सन 1919 में अंग्रेजो द्वारा किया गया जलियां वाला बाग कांड जिसमे बेकसूर भारतीयों को एक बंद कमरे में गोलियों से भून दिया गया था, जिसमे सैकड़ों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थीं, इस घटना से भगत सिंह बेहद ही दुखी थे, जिसके बाद महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे "असहयोग आंदोलन" में भगत सिंह खुल कर समर्थन करने लगे। और यही से अंग्रेजो को बुलंद आवाज़ में ललकारने लगे। लेकिन "चौरी चौरा" कांड के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन अचानक से बंद कर दिया जिसके बाद भगत सिंह महात्मा गांधी के इस फ़ैसले से बिलकुल भी खुश नहीं थे। जिसके बाद भगत सिंग ने दूसरी पार्टी ज्वाइन करने की सोची।

कुछ दिनों बाद भगत सिंह ने " नवजवान भारत सभा पार्टी" को ज्वाइन कर लिया जिसके बाद युवाओं को एक जुट और अंग्रेजो को भारत से भागने की योजना बनाया।



भगत सिंह जब लाहौर के नेशनल कॉलेज से BA कर रहे थे तभी उनकी मुलाकात सुखदेव से हुई, उस समय आज़ादी की लड़ाई जोरो शोरो से चल रही थी,भारत को आज़ाद कराने के लिए भगत सिंह अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपने साथियों के साथ स्वतंत्रता में कूद पड़े। इनके क्रांतिकारी विचार को देखते हुए भगत सिंह के घर वाले इनका विवाह करने की सोची लेकिन भगत सिंह विवाह से इनकार कर दिया और कहां " अगर आज़ादी से पहले मैं शादी करूंगा तो मेरी दुल्हन मौत होगी" भगत सिंह कॉलेज समय में ही युवाओं को देश भक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे। भगत सिंह लिखने के भी बेहद शौकीन थे वो अक्सर निबंध और शेर लिखा करते थे ।

30 अक्टूबर 1928 को भारत में आए "साइमन कमिशन" का विरोध किया जिसमे लाला लाजपत रॉय भी शामिल थे, साइमन वापस जाओ का नारा लगाते हुए रेलवे स्टेशन पर ही खड़े रहें, जिसके बाद अंग्रेजी हुकूमत वहां पर लाठी चार्ज कर दिया, इस लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। 

लाला लाजपत राय के मृत्यु के बाद भगत सिंह और उनकी पार्टी ने बदला लेने का विचार बनाया जिसमे ऑफिसर स्कॉट को मारने का प्लान बनाया , लेकिन गलती से वहां असिस्टेंट पुलिस को जान से मार दिया, इसके बाद भगत सिंह अपने साथियों के साथ फरार हो गए इधर अंग्रेजी हुकूमत भगत सिंह को पकड़ने के लिए जगह सर्च अभियान चला दिया और भगत सिंह अपने दोस्तों के साथ पकड़े गए।

भगत सिंह को फांसी..



इस घटना के बाद जेल के अंदर भगत सिंह, सुखदेव, और राज गुरु के साथ अंग्रेजो ने उन्हें तरह के यातना देने लगे, लेकिन भगत सिंह के हिम्मत को जरा सा भी तोड़ नहीं पाए । अंत में ब्रिटिश हुकूमत ने तीनों को फांसी देने का एलान कर दिया।

23 मार्च 1931को आधी रात  ही भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को फांसी दे दी गई। फांसी देते समय भगत सिंह मुस्कुरा रहे थे और इंकलाब जिंदाबाद का नारा भी लगाया, जेल में रहते हुए भगत सिंह ने कई तरह के अभियान चलाए, वो अभियान को सफल बनाने के लिए कई दिन तक पानी तक नहीं पीते थे।

भगत सिंह के विचार..



1.पागल, प्रेमी और कवि सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं ।


2. कोई भी अत्याचारी साधारण व्यक्तियों को कुचल कर उसके विचारों को नहीं मार सकता।


3. क्रांति और आज़ादी प्रत्येक इंसान का जन्म सिद्ध अधिकार हैं।


4. अगर हमे सरकार बनाने का मौका मिलेगा तो किसी के पास प्राइवेट प्रॉपर्टी नही मिलेगी।


5.दुनियां में गरीब होना सबसे बड़ा पाप हैं, गरीबी एक अभिस्राप और सजा हैं।


6. कठोरता और आज़ाद सोच ये दो क्रांतिकारी होने के सबसे बड़े गुण हैं।


7.बुराई इस लिए नहीं बढ़ रही हैं की बुरे लोग बढ़ रहे है बल्कि इस लिए बढ़ रही हैं की बुराई सहन करने वाले लोग बढ़ रहे हैं।




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