Bilkis Bano case: बिलकिस बनो के दोषियों छोड़ने के लिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने दी थी मंजूरी?

Bilkis Bano case: बिल्किस बानो के रेपिस्टों और कातिलों को छोड़े जानें के लिए केंद्र सरकार ने दी थी मंजूरी, गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी। 

सन 2002 में हुए गुजरात के दंगों में ऐसा ही  झकझोर देने वाली घटना हुई जब बिल्किस बनो के साथ 11 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और बिल्किस के परिवार वालों को मौत के घाट उतार दिया था, ये गोधरा काण्ड का सबसे भयावह घटना थी। इस घटना के बाद बिल्किस ने एक लंबी लड़ाई लड़ी और अपने दोषियों को सजा दिलवाई, स्पेशल कोर्ट सभी 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थीं। 




इसी 15 अगस्त को जब देश आज़ादी का 75 वा अमृत महोत्स माना रहा था। और पीएम नरेंद्र मोदी बेटियों के लिए लंबे चौड़े भाषण दे रहें थे, तभी गुजरात सरकार ने उन सभी आरोपियों को छोड़ने का फ़रमान जारी कर दिया था।

बिलकिस बनो के आरोपियों को छोड़े जानें की मंजूरी केंद सरकार ने दी थी।



और इसके एक दिन बाद ही उन सभी खुखार आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया। और बाहर आने पर फूल माला पहना कर उनका स्वागत किया गया, जब अपराधियों के स्वागत का वीडियो सामने आया तो हर कोई हैरान रह गया, की इतने खतरनाक अपराधियों को सरकार ने क्यों छोड़ दिया, उसके बाद से ही लोग लगातार सवाल उठा रहे थे।


बिलकिस बानो के दोषियों को रिहा करने के लिए पीएम मोदी और अमित शाह ने दी थी मंजुरी!



दोषियों को छोड़े जानें के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी की किस आधार पर दोषियों को छोड़ा गया हैं. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से जवाब मांगा था, अब गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया हैं जिसमे कहां गया हैं की "दोषियों को छोड़े जानें के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी" यानि की पीएम मोदी और अमित शाह ने इन सभी आरोपियों छोड़े जानें के लिए मंजूरी दी थी। 

कोर्ट में ये भी बताया गया की बिलकिस बानो के 11 दोषियों का व्यवहार जेल में ठीक था जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया हैं। 

गुजरात सरकार ने याचिकाकर्ता (सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा) द्वारा याचिका दाखिल करने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कि कृपया क्षमादान को चुनौती देना जनहित याचिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

यानि गुजरात सरकार ने साफ़ साफ़ याचिकाकर्ताओं पर ही सवाल खड़ा कर दिया। 

लेकिन गुजरात सरकार ने ये नही बताया कि ऐसे खुखार अपराधियों को छोड़े जानें पर समाज में क्या प्रभाव पड़ेगा, लोगों का जीवन डर डर के जीना पड़ेगा। और मानवनीतियों का उलघन होगा। 


अब एक बात तो साफ हैं की दोषियों को दुबारा जेल में नहीं डाला जायेगा क्योंकि मोदी और अमित शाह ने ही उन्हें छोड़ने का आदेश दिया था। 

अब सारी उम्र बिलकिस को डर डर के जीना पड़ेगा, और इस जन्म में इंसाफ़ मिलने की बात को सोच भी नही सकती।

सवाल ये भी उठ रहा हैं की आख़िर केंद्र सरकार की क्या मज़बूरी थी जो इन्हें छोड़ना पड़ा?



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