Urdu Poetry: डॉ. अल्लामा इक़बाल के मशहूर 15 शेर.

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Allama Iqbal: डॉ. अल्लामा इक़बाल उर्दू शायरी ( Urdu Poetry) के सबसे बड़े और बेहतरीन शायर माने जाते हैं। डॉ. अल्लामा इक़बाल पाकिस्तान के राष्ट्र कवि और इस सदी के महान् शायर और विद्वान् के रूप में जानें जाते हैं। इनके लिखें कलाम आज के युग में सबसे ज्यादा पढ़े जाते हैं। अल्लामा इक़बाल ने उर्दू शायरी ( Urdu poetry) को एक नया मकान दिया। डॉ.अल्लामा इक़बाल के लिखें शेर जीने के नए उम्मीद देते हैं, और युवाओं को एक नया प्रेरणा देता हैं। 


(अल्लामा इक़बाल के 15 बेहतरीन शेर)

आइए जानते हैं अल्लामा इक़बाल के बेहतरीन 15 शेर.


अल्लामा इक़बाल के 15 बड़े शेर 




1. ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले।
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।।


2. कि जो मोहम्मद से वफा तूने तो हम तेरे है।
ये जहां क्या चीज़ लौह-ओ-कलम तेरे है।।



3. सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा।

हम बुलबुले है इसके ये गुलसिता हमारा।।


4. सितारों से आगे जहाँ और भी हैं।
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं।।




5.माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख।।



6. जमीर जाग ही जाता है अगर जिंदा हो इकबाल।
कभी गुनाह से पहले तो कभी गुनाह के बाद।।


7.कुछ बात है जो हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहां हमारा।
यूनान, मिस्र, रोमा सब मिट गए जहाँ से
फिर भी मगर है कायम नामोनिशां हमारा।।


8. ख़ुदी का सिर्र-ए-निहाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह।
ख़ुदी है तेग़ फ़साँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह
ये दौर अपने बराहीम की तलाश में है
सनम-कदा है जहाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह।।


9. बुतों से तुझ को उमीदें ख़ुदा से ना उम्मीदी।
मुझे बता तो सही और काफ़िरी क्या है।।


10. हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक।
कुछ बड़ी बात थी होते जो मुसलमान भी एक।।


11.मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने।
मन अपना पुराना पापी है बरसों में नमाज़ी बन न सका।।



12. दिल से जो बात निकलती है असर रखती है।
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है।।



13. हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी।
ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़।।


14. बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम।
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा।।


15. हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है ।
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।।



16. इल्म में भी सुरूर है लेकिन।
ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं।।






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