( Irfan Siddiqui biography , इरफ़ान सिद्दीकी का जीवन परिचय )
Irfan Siddiqui shayari : प्रिय दोस्तों आज हम एक ऐसे शायर के बारे में बताने जा रहा हु जिसकी शायरी में नए लहज़े का फन देखने को मिलता, जिसका नाम हैं इरफ़ान सिद्दीकी ( Irfan Siddiqui ) इरफ़ान अहमद सिद्दीकी का जन्म 8 जनवरी 1939 को बदायू भारत में हुआ था। और अपनी पढ़ाई बरेली से पूरा किया , और उर्दू शायरी को तवज्जो देने लगे सन 1978 में अपना पहला काव्य संग्रह प्रकाशित किया। इरफ़ान सिद्दीकी (Irfan Siddiqui) अपने शायरी में नव क्लासिक लहज़े को अपना और दुनियां के सामने अपने शायरी को रखा , और लोहा मनवाया। इरफ़ान सिद्दीकी अपनी शायरी में { Irfan Siddiqui shayari } दुख–ओ–दर्द का बेजोड़ तालमेल देखने को मिलता है। 15 अप्रैल 2004 को लखनऊ में इरफ़न सिद्दीकी ने अपना आखिरी सांस लिया और दुनियां से रुखसत हो गए। आइए जानते हैं इनके लिखे गजलें और शेर..
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Irfan Siddiqui shayari |
इरफ़ान सिद्दीकी की गजलें / Irfan Siddiqui Ghazals
• बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है।
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है।।
हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी।
हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है।।
चमक रहा है उफ़ुक़ तक ग़ुबार-ए-तीरा-शबी।
कोई चराग़ सफ़र पर रवाना हो गया है।।
फ़ज़ा-ए-शौक़ में उस की बिसात ही क्या थी।
परिंद अपने परों का निशाना हो गया है।।
किसी ने देखे हैं पतझड़ में फूल खिलते हुए।
दिल अपनी ख़ुश-नज़री में दिवाना हो गया है।।
Irfan Siddiqui ki ghazal goi
• बदन के दोनों किनारों से जल रहा हूँ मैं।
कि छू रहा हूँ तुझे और पिघल रहा हूँ मैं।।
बुला रहा है मिरा जामा-ज़ेब मिलने को।
तो आज पैरहन-ए-जाँ बदल रहा हूँ मैं।।
तुझी पे ख़त्म है जानाँ मिरे ज़वाल की रात।
तू अब तुलू भी हो जा कि ढल रहा हूँ मैं।।
मैं ख़्वाब देख रहा हूँ कि वो पुकारता है।
और अपने जिस्म से बाहर निकल रहा हूँ मैं।।
इरफ़ान सिद्दीकी कि गजलें
• उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए।
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए।।
अजब हरीफ़ था मेरे ही साथ डूब गया।
मिरे सफ़ीने को ग़र्क़ाब देखने के लिए।।
जो हो सके तो ज़रा शह-सवार लौट के आएँ।
पियाद-गाँ को ज़फ़र-याब देखने के लिए।।
कहाँ है तू कि यहाँ जल रहे हैं सदियों से।
चराग़ दीदा ओ मेहराब देखने के लिए।।
Irfan Siddiqui gajal
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Irfan Siddiqui shayari |
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• मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ।
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ।।
दश्त से दूर भी क्या रंग दिखाता है जुनूँ।
देखना है तो किसी शहर में दाख़िल हो जाओ।।
इश्क़ क्या कार-ए-हवस भी कोई आसान नहीं।
ख़ैर से पहले इसी काम के क़ाबिल हो जाओ।।
मैं हूँ या मौज-ए-फ़ना और यहाँ कोई नहीं।
तुम अगर हो तो ज़रा राह में हाइल हो जाओ।।
अभी पैकर ही जला है तो ये आलम है मियाँ।
आग ये रूह में लग जाए तो कामिल हो जाओ।।
इरफ़ान सिद्दीकी कि मशहूर गजलें
• बदल गई है फ़ज़ा नीले आसमानों की।
बहुत दिनों में खुलीं खिड़कियाँ मकानों की।।
बस एक बार जो लंगर उठे तो फिर क्या था।
हवाएँ ताक में थीं जैसे बादबानों की।।
कोई पहाड़ रुका है कभी ज़मीं के बग़ैर।
हर एक बोझ पनह चाहता है शानों की।।
जो है वो कल के सवालों के इंतिज़ार में है ।
ये ज़िंदगी है कि है रात इम्तिहानों की।।
इरफान सिद्दीकी शायरी
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Irfan Siddiqui shayari |
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• उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए।
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए।।
Utho ye manzar-e-shab-taab dekhane ke lie
ki neend shart nahin khvaab dekhane ke lie.
~Irfaan Siddiqui
Irfan Siddiqui shayari
• बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है।
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है।।
Badan mein jaise lahoo taaziyaana ho gaya hai
use gale se lagae zamaana ho gaya hai
~इरफान सिद्दीकी
Irfan Siddiqui shayari in hindi
• होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है।
रंज कम सहता है एलान बहुत करता है।।
Hoshiyaaree dil-e-naadaan bahut karata hai.
ranj kam sahata hai elaan bahut karata hai.
~इरफ़ान सिद्दीकी
Irfan Siddiqui best shayari
• तुम परिंदों से ज़ियादा तो नहीं हो आज़ाद।
शाम होने को है अब घर की तरफ़ लौट चलो।।
Tum parindon se ziyaada to nahin ho aazaad
shaam hone ko hai ab ghar kee taraf laut chalo.
~इरफान सिद्दीकी
इरफान सिद्दीकी शायरी
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Irfan Siddiqui shayari |
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• बदन के दोनों किनारों से जल रहा हूँ मैं।
कि छू रहा हूँ तुझे और पिघल रहा हूँ मैं।।
Badan ke donon kinaaron se jal raha hoon main
ki chhoo raha hoon tujhe aur pighal raha hoon main.
~ Irfan Siddiqui
Irfan Siddiqui shayari in English
• सर अगर सर है तो नेज़ों से शिकायत कैसी।
दिल अगर दिल है तो दरिया से बड़ा होना है।।
Sar agar sar hai to nezon se shikaayat kaisee
dil agar dil hai to dariya se bada hona hai.
~इरफ़ान सिद्दीकी
Irfan Siddiqui ki famous sher
• तुम सुनो या न सुनो हाथ बढ़ाओ न बढ़ाओ।
डूबते डूबते इक बार पुकारेंगे तुम्हें।।
Tum suno ya na suno haath badhao na badhao
doobate doobate ik baar pukaarenge tumhen.
~Irfan Siddiqui
इरफ़ान सिद्दीकी शायरी
• तुम से मिले तो ख़ुद से ज़ियादा।
तुम को अकेला पाया हम ने।।
Tum se mile to khud se ziyaada
tum ko akela paaya ham ne.
~Irfan Siddiqui
Irfan Siddiqui shayari
• मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ।।
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ।।
Mere hone mein kisee taur se shaamil ho jao
tum maseeha nahin hote ho to qaatil ho jao
~ इरफ़ान सिद्दीकी
इरफ़ान सिद्दीकी शायरी इन हिंदी
• जाने क्या ठान के उठता हूँ निकलने के लिए।
जाने क्या सोच के दरवाज़े से लौट आता हूँ।।
Jaane kya thaan ke uthata hoon nikalane ke lie
jaane kya soch ke daravaaze se laut aata hoon.
~इरफ़ान सिद्दीकी
Best shayari of Irfan Siddiqui
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Irfan Siddiqui shayari |
• सब को निशाना करते करते।
ख़ुद को मार गिराया हम ने।।
Sab ko nishaana karate karate
khud ko maar giraaya ham ne.
~इरफ़ान सिद्दीकी
Irfan Siddiqui ki shayari
•जिस्म की रानाइयों तक ख़्वाहिशों की भीड़ है।
ये तमाशा ख़त्म हो जाए तो घर जाएँगे लोग।।
Jism kee raanaiyon tak khvaahishon kee bheed hai
ye tamaasha khatm ho jae to ghar jaenge log
~ Irfaan Siddiqui
इरफ़ान शायरी
• उस से बिछड़े तो तुम्हें कोई न पहचानेगा।
तुम तो परछाईं हो पैकर की तरफ़ लौट चलो।।
us se bichhade to tumhen koee na pahachaanega
tum to parachhaeen ho paikar kee taraf laut chalo
~ Irfan सिद्दीकी
Irfan सिद्दीकी शायरी
• देखते हैं तो लहू जैसे रगें तोड़ता है।।
हम तो मर जाएँगे सीने से लगा कर उस को।।
Dekhate hain to lahoo jaise ragen todata hai
ham to mar jaenge seene se laga kar us ko
~Irfaan siddique
इरफ़ान सिद्दीकी best शायरी
• उन्हीं की शह से उन्हें मात करता रहता हूँ।।
सितमगरों की मुदारात करता रहता हूँ।।
Unheen kee shah se unhen maat karata rahata hoon
sitamagaron kee mudaaraat karata rahata hoon
~Irfaan siddiki
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