Tahazeeb Hafi : प्रिय दोस्तों आज के युग के सबसे प्रसिद्ध और प्रिय शायर तहज़ीब हाफी { Tahazeeb Hafi} को तो जानते ही होंगे। तहज़ीब हाफी आज के युवाओं के काफ़ी पसंददीदा शायर हैं , तहज़ीब हाफी का जन्म 5 दिसंबर 1988 को पाकिस्तान ( Pakistan) के तौसा शरीफ़ में हुआ था। ऐसा कहां जाता हैं तहज़ीब हाफी बचपन से ही शौकीन थे, शुरुआती स्कूल पूरा करने के बाद मेहरान यूनिवर्सिटी ( Meharan Univercity) से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग ( Software Engineering) की पढ़ाई पूरी की, लेकिन शायरी में इतने खो चुके थे की बाद में इन्होंने यूनिवर्सिटी से उर्दू से एम.ए { M.A } किया और शायरी की दुनियां में छा गए हैं। तहज़ीब हाफी का जन्म भले ही पाकिस्तान में हुआ हो लेकिन इनके चाहने वाले पूरे हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा इनकी शायरी हिंदुस्तान में पढ़ी और सुनी जाती हैं। तहज़ीब हाफी अपनी शायरी में आज के युवाओं के गम का भरपूर साथ देते है और उसी पर खूबसूरत कलाम लिखते हैं। तहज़ीब हाफी ( Tahazeeb Hafi ) के शख्सियत का अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए की जिस मुशायरे में तहज़ीब हाफी को बुलाने के लिए आमंत्रित किया जाता हैं वो मुशायरा बिना पढ़े ही कामयाब मान लिया जाता हैं। तहज़ीब हाफी अपने शायरी को दुबई (Dubai) अमेरिका ( America) इंग्लैंड ( England) भारत ( India) जैसे तमाम देशों में जा कर पढ़ चुके हैं, और अपने शायरी का लोहा मनवाया हैं।
तो आइए जानते हैं इनके बेहतरीन गजलों और शेरों को...
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Tahazeeb hafi shayari ( Photo insta) |
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तहज़ीब हाफी गज़ल / Tahazeeb Hafi ke Gajal
• किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है।
कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है।।
अजीब दुख है हम उस के हो कर भी उस को छूने से डर रहे हैं।
अजीब दुख है हमारे हिस्से की आग औरों में बट रही है।।
मुझ ऐसे पेड़ों के सूखने और सब्ज़ होने से क्या किसी को।
ये बेल शायद किसी मुसीबत में है जो मुझ से लिपट रही है।।
मैं उस को हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करता।
सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है।।
तहज़ीब हाफी गज़ल
• तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया।
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया।।
अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहीं।
चीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया।।
यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ।
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया।।
इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ।
उस ने जिस जिस को भी जाने का कहा बैठ गया।।
बात दरियाओं की सूरज की न तेरी है यहाँ।
दो क़दम जो भी मिरे साथ चला बैठ गया।।
तहज़ीब हाफी के बेस्ट गजलें
• ये एक बात समझने में रात हो गई है।।
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है।।
बिछड़ के तुझ से न ख़ुश रह सकूँगा सोचा था।
तिरी जुदाई ही वज्ह-ए-नशात हो गई है।।
मैं अब के साल परिंदों का दिन मनाऊँगा।
मिरी क़रीब के जंगल से बात हो गई है।।
मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर।
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है।।
रहेगा याद मदीने से वापसी का सफ़र।
मैं नज़्म लिखने लगा था कि नात हो गई है।।
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Tahazeeb hafi shayari |
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Tahazeeb hafi Biography
• ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे।
अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे।।
मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी ।
उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे।।
मेरी दुआ है और इक तरह से बद्दुआ भी है।
ख़ुदा तुम्हें तुम्हारे जैसी बेटियाँ अता करे।।
बना चुका हूँ मैं मोहब्बतों के दर्द की दवा।
अगर किसी को चाहिए तो मुझसे राब्ता करे।।
तहज़ीब हाफी गज़ल
• सो रहेंगे कि जागते रहेंगे।
हम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे।।
तू कहीं और ढूँढता रहेगा।
हम कहीं और ही खिले रहेंगे।।
बर्फ़ पिघलेगी और पहाड़ों में।
सालहा-साल रास्ते रहेंगे।।
राहगीरों ने रह बदलनी है।
पेड़ अपनी जगह खड़े रहे हैं।।
लौटना कब है तू ने पर तुझ को।
आदतन ही पुकारते रहेंगे।।
तुझ को पाने में मसअला ये है।
तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे।।
तू इधर देख मुझ से बातें कर।
यार चश्मे तो फूटते रहेंगे।।
तहज़ीब हाफी नज़्म / Tahzeeb Hafi ke Nazm
तू किसी और ही दुनिया में मिली थी मुझसे
तू किसी और ही मौसम की महक लायी थी।
डर रहा था कि कहीं ज़ख़्म न भर जाएँ मेरे
और तू मुठ्ठीयाँ भर भर के नमक लायी थी।
और ही तरह की आँखें थी तेरे चेहरे पर
तू किसी और सितारे से चमक लायी थी
तेरी आवाज़ ही सब कुछ थी मुझे मुन्हसिर ए जाँ
क्या करूँ मैं कि तू बोली ही बहुत कम मुझसे
तेरी चुप से ही यही महसूस किया था मैंने।
जीत जायेगा तेरा ग़म किसी रोज़ मुझसे
शहर आवाज़ें लगाता था मगर तू चुप थी।
ये ताल्लुक़ मुझे खाता था मगर तू चुप थी
वही अंज़ाम था जो इश्क़ का आगाज़ से है
तुझको पाया भी नहीं था के तुझे खोना था।।
हम एक ज़िंदान में जिंदा थे हम एक जंजीर में बढ़े हुए
एक दूसरे को देख कर हम कभी हंसते थे तो रोना आता था।।
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Tahazeeb Hafi |
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तहज़ीब हाफी नज़्म
• आईने आंख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था
एक याद बसर करती थी मुझे मै सांस नहीं ले पाता था
एक शख्स के हाथ में था सब कुछ मेरा खिलना भी मुरझाना भी
रोता था तो रात उजड़ जाती हंसता था तो दिन बन जाता था
मै रब से राब्ते में रहता मुमकिन है की उस से राब्ता हो
मुझे हाथ उठाना पड़ते थे तब जाकर वो फोन उठाता था
मुझे आज भी याद है बचपन में कभी उस पर नजर अगर पड़ती
मेरे बस्ते से फूल बरसते थे मेरी तख्ती पे दिल बन जाता था
हम एक ज़िंदान में जिंदा थे हम एक जंजीर में बढ़े हुए
एक दूसरे को देख कर हम कभी हंसते थे तो रोना आता था।
तहज़ीब हाफी शायरी / Tahazeeb Hafi shayari
• मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ।।
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे।।
Main ki kaagaz kee ek kashtee hoon
pahalee baarish hee aakhiree hai mujhe
~तहज़ीब hafi
Tahazeeb Hari Best shayari
• बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता।।
हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता।।
Bata ai abr musaavaat kyoon nahin karata..
hamaare gaanv mein barasaat kyoon nahin karata..
~Tahazeeb hafi
तहज़ीब हाफी shayari / Tahazeeb Hafi poetry collection
• तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर हो जाएँ ।।
समुंदरों से अकेले में बात करनी है।।
Tamaam naakhuda saahil se door ho jaen
samundaron se akele mein baat karanee hai
~तहज़ीब हाफी
Tahazeeb Hafi Best shayari in Hindi
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तहज़ीब हाफी शायरी |
• मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ।।
वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता।।
Main jis ke saath kaee din guzaar aaya hoon
vo mere saath basar raat kyoon nahin karata.
~Tahazeeb Hafi
तहज़ीब हाफी शायरी 2023
• तुझ को पाने में मसअला ये है।।
तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे।।
Tujh ko paane mein masala ye hai
tujh ko khone ke vasavase rahenge.
~तहज़ीब हाफी
Tahazeeb Hafi best shayari 2023
• कौन तुम्हारे पास से उठ कर घर जाता है।।
तुम जिसको छू लेती हो वो मर जाता है।।
Kaun tumhaare paas se uth kar ghar jaata hai
tum jisako chhoo letee ho vo mar jaata hai ।~Tahazib hafi
तहज़ीब हाफी के शेर
•क्या ख़बर कौन था वो
और मेरा क्या लगता था।।
जिससे मिलकर मुझे
हर शख़्स बुरा लगता था।।
Kya khabar kaun tha vo
aur mera kya lagata tha
jisase milakar mujhe
har shakhs bura lagata tha
~Tahazeeb hafi
Tahazeeb Hafi shayari
• महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं
हम एक सदमे से बहार आ रहे हैं।।
समंदर कर चूका तस्लीम हमको
ख़ज़ाने खुद ही ऊपर आ रहे हैं।।
Maheenon baad daphtar aa rahe hain
ham ek sadame se bahaar aa rahe hain
samandar kar chooka tasleem hamako
khazaane khud hee oopar aa rahe hain
~Tahazeeb hafi
Tahazeeb hafi Poetry in Hindi
• जो मेरे साथ मोहब्बत में हुयी
आदमी एक दफा सोचेगा।।
रात इस डर में गुज़ारी हमने
कोई देखेगा तो क्या सोचेगा।।
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तहज़ीब हाफी शायरी |
Jo mere saath mohabbat mein huyee
aadamee ek dapha sochega
raat is dar mein guzaaree hamane
koee dekhega to
~ Tahazeeb hafi
Tahazeeb Hafi poetry
• मुझसे कल वक़्त पूछा किसी ने
कह दिया के बुरा चल रहा है।।
उसने शादी भी की है किसी से
और गाँव में क्या चल रहा है।।
Mujhase kal vaqt poochha kisee ne
kah diya ke bura chal raha hai
usane shaadee bhee kee hai kisee se
aur gaanv mein kya chal raha hai
~Tahazeeb Hafi
Best shayari of Tahazeeb Hafi
• लड़कियां इश्क़ में कितनी पागल होती हैं।।
फ़ोन बजा और चुल्हा जलता छोड़ दिया।।
ladakiyaan ishq mein kitanee paagal hotee hain
phon baja aur chulha jalata chhod diya
~Tahazeeb hafi
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