Sarwat Hussain shayari : सरवत हुसैन के बेहतरीन ग़ज़ल और शेर पढ़िए..

सरवत हुसैन शायरी : Sarwat Husain Shayari: दोस्तों आज के लेख में पाकिस्तान के मशहूर शायर सरवत हुसैन ( Sarwat Hussain) के लिए बेहतरीन ग़ज़ल और शेर बताने जा रहा हु.. 


Sarwat Hussain shayari ( Photo kavita kosh)



Sarwat Husain ke ghazal / सरवत हुसैन के ग़ज़ल. 


अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो

जागो तो आईना देखो और मुझे देखो


सुब्ह के ठंडे फ़र्श पे गूँजा उस का एक सुख़न।

किरनों का गुलदस्ता देखो और मुझे देखो।।


सोचो ये ख़ामोश मुसाफ़िर क्यूँ अफ़्सुर्दा है।

जब भी तुम दरवाज़ा देखो और मुझे देखो।।


बाज़ू हैं या दो पतवारें नाव पे रक्खी हैं।

लहरें लेता दरिया देखो और मुझे देखो।।


दो ही चीज़ें इस धरती में देखने वाली हैं।

मिट्टी की सुंदरता देखो और मुझे देखो।।

~सरवत हुसैन


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• क़सम इस आग और पानी की।

मौत अच्छी है बस जवानी की।।


जिसे अंजाम तुम समझती हो।

इब्तिदा है किसी कहानी की।।


रंज की रेत है किनारों पर।

मौज गुज़री थी शादमानी की।।


और भी हैं रिवायतें लेकिन।

इक रिवायत है ख़ूँ-फ़िशानी की।।


चूम लीं मेरी उँगलियाँ सरवत।

उस ने इतनी तो मेहरबानी की।

~Sarvat Husain 


• मैं जो गुज़रा सलाम करने लगा।

पेड़ मुझ से कलाम करने लगा।।


क्यूँ किसी शब चराग़ की ख़ातिर।

अपनी नींदें हराम करने लगा।।


देख ऐ नौ-जवान मैं तुझ पर।

अपनी चाहत तमाम करने लगा।।


उम्र-ए-यक-रोज़ कम नहीं सरवत।

क्यूँ तलाश-ए-दवाम करने लगा।।

~ सरवत हुसैन 


Sarwat Hussain shayari ( Photo rekhta)

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सरवत हुसैन शायरी / Sarwat Hussain Shayari 


•मौत के दरिंदे में इक कशिश तो है सरवत।

लोग कुछ भी कहते हों ख़ुद-कुशी के बारे में।।


Maut ke darinde mein ik kashish to hai saravat

log kuchh bhee kahate hon khud-kushee ke baare mein

~Sarwat Hussain 


जिसे अंजाम तुम समझती हो।

इब्तिदा है किसी कहानी की।।


Jise anjaam tum samajhatee ho

ibtida hai kisee kahaanee ki 

~Sarwat Hussain


सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ।

बच निकलने के बाद क्या होगा।। 


Sochata hoon ki us se bach nikaloon

bach nikalane ke baad kya hoga.

~Sarwat Husain


•दो ही चीज़ें इस धरती में देखने वाली हैं।

मिट्टी की सुंदरता देखो और मुझे देखो।।


Do hee cheezen is dharatee mein dekhane vaalee hain

mittee kee sundarata dekho aur mujhe dekho 

~Sarwat Hussain


• वो इक सूरज सुब्ह तलक मिरे पहलू में।।

अपनी सब नाराज़गियों के साथ रहा।। 


Vo ik sooraj subh talak mire pahaloo mein

apanee sab naaraazagiyon ke saath raha 

~सरवत हुसैन 


मिट्टी पे नुमूदार हैं पानी के ज़ख़ीरे।

इन में कोई औरत से ज़ियादा नहीं गहरा।।


Mitti pe numoodaar hain paanee ke zakheere

in mein koee aurat se ziyaada nahin gahara

~ Sarwat Hussain 


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