Anish Moin : दुनियां की हक़ीक़त समझाने वाला शायर अनीश मुईन ने महज़ 27 साल कि उम्र में की थी खुदकुशी जानिए सुसाइड नोट में क्या लिखा था? और इनके लिखें शेर पढ़िए

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Urdu shayari: पाकिस्तान के मशहूर उर्दू शायर ( Urdu Poetry )अनीश मुईन जिन्होंने कम उम्र में ही शायरी की दुनियां में अपना नाम कमा लिया था। जब ये अनीश मुईन माइक पर ग़ज़ल पढ़ने आते थे तो लोगों की तालियां रुकने का नाम ही नही लेती थी। ये भी उनका शुक्रिया अदा करते नही थकते थे। इनकी गजलें हालिया जिंदगी और मायावी दुनियां की तर्जुमानी करती थी। जो लोगों के सीधा दिल पर असर करती थीं। अनीश मुईन का जन्म 29 नवंबर 1960 को मुल्तान पाकिस्तान में हुआ था, अनीश मुईन के पिता का नाम सैयद फखरुद्दीन बल्ले था, जो खुद एक बेहतरीन शायर थे, अनीश मुईन कम उम्र में ही शायरी अपने पिता से सीखी और रूहानी शेर कहने लगे। कुछ ही समय में अनीश मोइन को काफ़ी पहचान मिल गई, इतना शोहरत मिलने के बाद भी अनीश मुईन बेचैन रहते थे और लोगो से कहते थे की ये दुनियां कुछ भी नही है । एक दिन मरना ही है। कितना भी कुछ कर लेंगे लेकिन एक दिन सब छोड़ कर चले जाना हैं, इनकी शायरी में भी जिंदगी और मौत की जुगलबंदी बखूबी देखने को मिलता हैं। अनीश मुईन कहते हैं कि


"हमारे मुस्कुराहट पर मत जाना

दिया तो कब्र पर भी जल रहा हैं"

अनीश मोइन ( फ़ोटो Rekhta)


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अनीश मुईन दुनियां को क़रीब से समझने के बाद महज़ 27 साल की उम्र में 5 फ़रवरी 1986 को अपने घर में ही खुदकुशी कर ली। खुदकुशी करने से पहले अनीश मुईन ने सुसाइड नोट लिखा जिसमे लिखा.. कि 


(अनीश मुईन का सुसाइड नोट)


हिन्दी अनुवाद 👇


ख़ुदा आपको हमेशा सलामत रखे।

मेरी इस हरकत की सिवाए इसके कोई और वजह नहीं कि मैं ज़िंदगी की यक्सानियत से उकता गया हूं। ज़िंदगी की किताब का जो पन्ना उलटता हूं उस पर वो ही लिखावट नज़र आती है जो पिछले पन्ने में पढ़ चुका होता हूं,इसलिए मैंने ढेर सारे पन्ने छोड़कर वो लिखावट पढ़ने का फैसला किया है जो आखिरी पन्ने पर लिखी हुई है। मुझे न तो घर वालों से शिकायत है न दफ्तर या बाहर वालों से बल्कि लोगों ने तो मुझे इतनी मुहब्बत की है कि मैं उसके काबिल भी नहीं था। लोगों ने अगर मेरे साथ कोई ज़्यादती की भी है तो या किसी ने मेरा कुछ देना है तो मैं वो माफ करता हूं। खुदा मेरी भी ज़्यादतियों और गुनाहों को माफ फरमाए।


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और आखिर में एक खास बात और, वो ये कि आखिर में राहे खुदा में देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है इसलिए मैं अपनी आंखे आई-बैंक को डोनेट करता हूं। मेरे बाद ये आंखे किसी जरूरत मंद शख्स को लगा दी जाएं तो मेरी रूह को असल मायनों में सुकून हासिल हो सकने की उम्मीद है। मरने के बाद मुझे आपकी दुआओं की पहले से ज़्यादा ज़रूरत रहेगी, अलबत्ता ग़ैर-ज़रूरी रस्मों पर पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं है। मैंने कुछ रुपये आमना के पास इसलिए रखवा दिये हैं ताकि इस मौके पर काम आ सकें।

आपका नालायक बेटा अनीस मुईन अस्लम ख़ान बिल्डिंग, मुल्तान

4/2/86



अनीश मुईन की मशहूर गजलें..




1. बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है।
दरिया के उस पार भी गहरा सन्नाटा है।।

नई सहर की चाप न जाने कब उभरेगी।
चारों जानिब रात का गहरा सन्नाटा है।।

जैसे इक तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी।
आज मिरी बस्ती में ऐसा सन्नाटा है।।

सोच रहे हो सोचो लेकिन बोल न पड़ना।
देख रहे हो शहर में कितना सन्नाटा है।।

डरना है तो अन -जानी आवाज़ से डरना।
ये तो आनिस देखा-भाला सन्नाटा है।।


2. वो मेरे हाल पर रोया भी मुस्कुराया भी
अज़ीब सख्श है अपना भी है पराया भी

बहुत महीन था पर्दा लरज़ती आँखों का।
मुझे दिखाया भी तू ने मुझे छुपाया भी।।

बयाज़ भर भी गई और फिर भी सादा है।
तुम्हारे नाम को लिक्खा भी और मिटाया भी।।

ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था।
दिया जलाया भी मैं ने दिया बुझाया भी।।



3. ये कर्ज़ मेरा है चुकाएगा कोई और ।
दुःख मुझको है नीर बहाएगा कोई और।।

क्या फ़िर यूंही दी जाय उजरत पर गवाही ।
क्या तेरी सज़ा अब भी पाएगा कोई और।।

अंजाम पर पहुंचूंगा मैं अंजाम से पहले ।
ख़ुद मेरी कहानी सुनाएगा कोई और।।

इस बार हूँ दुश्मन की रसाई से बहुत दूर।
इस बार मगर ज़ख़्म लगाएगा कोई और।।

अनीश मुईन की मशहूर नज्में..


.. तू मेरा है... 
तेरे मन में छुपे हुए सब दुख मेरे हैं
तेरी आँख के आँसू मेरे
तेरे लबों पे नाचने वाली ये मासूम हँसी भी मेरी तू मेरा हैं 
हर वो झोंका जिस के लम्स को
अपने जिस्म पे तू ने भी महसूस किया है
पहले मेरे हाथों को
छू कर गुज़रा था

तेरे घर के दरवाज़े पर
दस्तक देने वाला
हर वो लम्हा जिस में
तुझ को अपनी तन्हाई का
शिद्दत से एहसास हुआ था
पहले मेरे घर आया था तू मेरा है
तेरा माज़ी भी मेरा था
आने वाली हर साअ'त भी मेरी होगी
तेरे तपते आरिज़ की दोपहर है मेरी
शाम की तरह गहरे गहरे ये पलकों साए हैं मेरे

तेरे सियाह बालों की शब से धूप की सूरत
वो सुब्हें जो कल जागेंगी
मेरी होंगी तू मेरा हैं 
लेकिन तेरे सपनों में भी आते हुए ये डर लगता है
मुझ से कहीं तू पूछ न बैठे
क्यूँ आए हो
मेरा तुम से क्या नाता है


अनीश मोइन के शेर Anish moin Poetry.


1.वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था
पानी पानी कहते कहते डूब गया है।।


2.मुमकिन है कि सदियों भी नज़र आए न सूरज
इस बार अंधेरा मिरे अंदर से उठा है।।


3.अजब अंदाज़ से ये घर गिरा है
मिरा मलबा मिरे ऊपर गिरा है।


4. याद है ‘आनिस’ पहले तुम ख़ुद बिखरे थे
आईने ने तुम से बिखरना सीखा था।।


Anish Moin ke sher 

5. मेरे अपने अंदर एक भँवर था जिस में
मेरा सब कुछ साथ ही मेरे डूब गया है।।



6. इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें।
कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और।।

अनीश मोइन के रूहानी शेर 


7. हैरत से जो मेरी तरफ़ देख रहे हों ।
लगता है कभी तुमने समंदर नहीं देखा।।


8. गूंजता है बदन में सन्नाटा।
कोई खाली मकान हो जैसे।।





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