(Anish moin shayari, anish muin biography, Anish moin ki Gajale, Anish moin Parents, Anish moin suicide note , Anish moin Quotes)
Urdu shayari: पाकिस्तान के मशहूर उर्दू शायर ( Urdu Poetry )अनीश मुईन जिन्होंने कम उम्र में ही शायरी की दुनियां में अपना नाम कमा लिया था। जब ये अनीश मुईन माइक पर ग़ज़ल पढ़ने आते थे तो लोगों की तालियां रुकने का नाम ही नही लेती थी। ये भी उनका शुक्रिया अदा करते नही थकते थे। इनकी गजलें हालिया जिंदगी और मायावी दुनियां की तर्जुमानी करती थी। जो लोगों के सीधा दिल पर असर करती थीं। अनीश मुईन का जन्म 29 नवंबर 1960 को मुल्तान पाकिस्तान में हुआ था, अनीश मुईन के पिता का नाम सैयद फखरुद्दीन बल्ले था, जो खुद एक बेहतरीन शायर थे, अनीश मुईन कम उम्र में ही शायरी अपने पिता से सीखी और रूहानी शेर कहने लगे। कुछ ही समय में अनीश मोइन को काफ़ी पहचान मिल गई, इतना शोहरत मिलने के बाद भी अनीश मुईन बेचैन रहते थे और लोगो से कहते थे की ये दुनियां कुछ भी नही है । एक दिन मरना ही है। कितना भी कुछ कर लेंगे लेकिन एक दिन सब छोड़ कर चले जाना हैं, इनकी शायरी में भी जिंदगी और मौत की जुगलबंदी बखूबी देखने को मिलता हैं। अनीश मुईन कहते हैं कि
"हमारे मुस्कुराहट पर मत जाना
दिया तो कब्र पर भी जल रहा हैं"
![]() |
अनीश मोइन ( फ़ोटो Rekhta) |
इसे भी पढ़ें 👉 जॉन एलिया का जीवन परिचय और शेर पढ़िए
अनीश मुईन दुनियां को क़रीब से समझने के बाद महज़ 27 साल की उम्र में 5 फ़रवरी 1986 को अपने घर में ही खुदकुशी कर ली। खुदकुशी करने से पहले अनीश मुईन ने सुसाइड नोट लिखा जिसमे लिखा.. कि
![]() |
(अनीश मुईन का सुसाइड नोट) |
हिन्दी अनुवाद 👇
ख़ुदा आपको हमेशा सलामत रखे।
मेरी इस हरकत की सिवाए इसके कोई और वजह नहीं कि मैं ज़िंदगी की यक्सानियत से उकता गया हूं। ज़िंदगी की किताब का जो पन्ना उलटता हूं उस पर वो ही लिखावट नज़र आती है जो पिछले पन्ने में पढ़ चुका होता हूं,इसलिए मैंने ढेर सारे पन्ने छोड़कर वो लिखावट पढ़ने का फैसला किया है जो आखिरी पन्ने पर लिखी हुई है। मुझे न तो घर वालों से शिकायत है न दफ्तर या बाहर वालों से बल्कि लोगों ने तो मुझे इतनी मुहब्बत की है कि मैं उसके काबिल भी नहीं था। लोगों ने अगर मेरे साथ कोई ज़्यादती की भी है तो या किसी ने मेरा कुछ देना है तो मैं वो माफ करता हूं। खुदा मेरी भी ज़्यादतियों और गुनाहों को माफ फरमाए।
इसे भी पढ़ें 👉 उबैदुल्ला अलीम के चुनिंदा शेर पढ़िए...
और आखिर में एक खास बात और, वो ये कि आखिर में राहे खुदा में देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है इसलिए मैं अपनी आंखे आई-बैंक को डोनेट करता हूं। मेरे बाद ये आंखे किसी जरूरत मंद शख्स को लगा दी जाएं तो मेरी रूह को असल मायनों में सुकून हासिल हो सकने की उम्मीद है। मरने के बाद मुझे आपकी दुआओं की पहले से ज़्यादा ज़रूरत रहेगी, अलबत्ता ग़ैर-ज़रूरी रस्मों पर पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं है। मैंने कुछ रुपये आमना के पास इसलिए रखवा दिये हैं ताकि इस मौके पर काम आ सकें।
आपका नालायक बेटा अनीस मुईन अस्लम ख़ान बिल्डिंग, मुल्तान
4/2/86
अनीश मुईन की मशहूर गजलें..
अनीश मुईन की मशहूर नज्में..
अनीश मोइन के शेर Anish moin Poetry.
इसे भी पढ़ें 👉 पढ़िए भगत सिंह की पूरी कहानी
इसे भी पढ़ें 👉 बशीर बद्र के रूहानी शेर पढ़िए
0 टिप्पणियाँ