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Urdu shayari: उर्दू शायरी ( Urdu Poetry) के महान् शायर उबैदुल्ला अलीम का जन्म 12 जून 1939 को भोपाल में हुआ था। भारत और पाकिस्तान विभाजन के समय इनके पिता पाकिस्तान चले गए और वहीं बस गए। उबैदुल्लाह अलीम ने कराची विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए किया और एक रेडियो टेलीविजन में काम करना शुरू कर दिया। काम के साथ साथ शायरी भी लिखने लगे। सन 1974 में अपना पहला काव्य क़िताब " चांद चेहरा सितारा आंखें" प्रकाशित किया जिसे लोगों ने हाथों हाथ लिया। और इस काम के लिए उबैदुल्ला अलीम को पाकिस्तान का सर्वोच्च पुरस्कार "आदमजी" से नवाजा गया। उबैदुलाह अलीम ने अपने जीवन में लगभग 4 किताबें लिखीं
1. चांद चेहरा सितारा आंखे
2. ये जिंदगी है हमारी
3. वीरान सराय का दिया
4. पुरुष खुली हुई एक सच्चाई
उबैदुल्ला अलीम उर्दू शायरी (Urdu shayari) के एक चमकते हुए सितारे थे इनके लिखे शेर लोगों में ताज़गी का आज भी अहसास दिलाती हैं। 18 मई 1998 को हार्ट अटैक कि वजह से उबैदुल्ला अलीम इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।
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उबैदुलाह अलीम फ़ोटो (सोशल मीडिया ) |
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उबैदुल्लाह अलीम के चुनिंदा गजलें
1. कुछ इश्क़ था कुछ मजबूरी थी सो मैं ने जीवन वार दिया।
मैं कैसा ज़िंदा आदमी था इक शख़्स ने मुझ को मार दिया।।
मैं खुली हुई इक सच्चाई मुझे जानने वाले जानते हैं।
मैं ने किन लोगों से नफ़रत की और किन लोगों को प्यार दिया।।
मैं रोता हूँ और आसमान से तारे टूटते देखता हूँ।
उन लोगों पर जिन लोगों ने मिरे लोगों को आज़ार दिया।।
इक सब्ज़ शाख़ गुलाब की था इक दुनिया अपने ख़्वाब की था।
वो एक बहार जो आई नहीं उस के लिए सब कुछ हार दिया ।।
2. जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई।
बदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई।।
न होगी ख़ुश्क कि शायद वो लौट आए फिर।
ये किश्त गुज़रे हुए अब्र की निशानी हुई।।
कहाँ तक और भला जाँ का हम ज़ियाँ करते।
बिछड़ गया है तो ये उस की मेहरबानी हुई।
उबैदुल्लाह अलीम के चुनिंदा शेर
1. अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए।
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए।।
2. ज़मीन जब भी हुई कर्बला हमारे लिए।
तो आसमान से उतरा ख़ुदा हमारे लिए।।
3. आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा।
जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा।।
4.जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बर।
हर सुब्ह इक अज़ाब है अख़बार देखना।।
5. ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ।
काश तुझ को भी इक झलक देखूँ।।
6. हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम।
जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी।।
7.बड़ी आरजू थी हमको नए ख़्वाब देखने की ।
सो अब अपनी जिंदगी में नए ख़्वाब भर रहे है ।।
8. ये कैसी बिछड़ने की सज़ा हैं ।
आईने में चेहरा रख गया हैं।।
9. रोशनी आधी इधर आधी उधर।
एक दिया रखा है दीवारों के बीच ।।
10. मुझसे मेरा कोइ मिलने वाला ।
बिछड़ा तो नही मगर मिला दे।।
11. शायद की ख़ुदा में और मुझमें।
एक जस्त का और फासला हैं ।।
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