Munawwar rana biography, मुनव्वर राणा जीवन परिचय
Munawwar Rana Shayari : प्रिय दोस्तों आज हम दुनियां के सबसे बेहतरीन शायर मुनव्वर राणा { Munawwar Rana } के बारे में बताने जा रहा हूं, मुनव्वर राणा { Munawwar Rana } एक ऐसे शायर हैं जो उर्दू शायरी { Urdu Poetry } को महबूब के जुल्फ और हुस्न से खींचकर मां के कदमों तक लेकर आए, और मां के ऊपर एक से बढ़कर एक शेर और ग़ज़ल लिखें जो पूरी दुनियां में पढ़ी और सुनी जाती हैं। मुनव्वर राणा { Munawwar Rana } का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश { Uttar Pradesh} के रायबरेली में हुआ था, इनका असली नाम सय्यद मुनव्वर अली हैं, और अपनी पढ़ाई कोलकाता से पूरी की मुनव्वर राणा { Munawwar Rana shayari } अपनी मां आयशा से बहुत मोहब्बत करते हैं, और अपने मां पर ही उर्दू शायरी { Urdu Shayari } में गज़ल नज़्म और शेर कहें। मुनव्वर राना उर्दू शायरी सीखने के लिए अब्बास अली ख़ान बेखुद और वाली आसी को अपना गुरु बनाया और इन्ही से उर्दू शायरी { Urdu shayari } के फन सीखें।
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Munawwar rana |
मुनव्वर राना के लिखें किताबें. Books of munawar Rana
• माँ { Maa }
• ग़ज़ल गाँव {Ghazal Gavn }
• पीपल छाँव {Pipal chhav}
• बदन सराय { Badan Saray }
• नीम के फूल { Nim ke phool }
• सब उसके लिए {Sab uske liye }
• घर अकेला हो गया {Ghar Akela ho Gaya }
• कहो ज़िल्ले इलाही से { Kaho jille ilahi se }
• बग़ैर नक़्शे का मकान {Bagair Nakshe ka makan }
• फिर कबीर {Phir Kabir}
• नए मौसम के फूल { Naye mausham ke phool }
मुनव्वर राणा के ग़ज़ल / Ghazals of munawwar Rana
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Munawwar rana shayari |
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• बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना।
आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना।।
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है।
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना।।
हम को मालूम है शोहरत की बुलंदी हम ने।
क़ब्र की मिट्टी का देखा है बराबर होना।।
सिर्फ़ बच्चों की मोहब्बत ने क़दम रोक लिए।
वर्ना आसान था मेरे लिए बे-घर होना।।
सोचता हूँ तो कहानी की तरह लगता है।
रास्ते से मिरा तकना तिरा छत पर होना।।
मुझ को क़िस्मत ही पहुँचने नहीं देती वर्ना।
एक एज़ाज़ है उस दर का गदागर होना।।
सिर्फ़ तारीख़ बताने के लिए ज़िंदा हूँ।
अब मिरा घर में भी होना है कैलेंडर होना।।
मुनव्वर राना गजल
• मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता।
अब इस से ज़ियादा मैं तिरा हो नहीं सकता।।
बस तू मिरी आवाज़ से आवाज़ मिला दे।
फिर देख कि इस शहर में क्या हो नहीं सकता।।
दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँखें।
रौशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता।।
ऐ मौत मुझे तू ने मुसीबत से निकाला।
सय्याद समझता था रिहा हो नहीं सकता।।
पेशानी को सज्दे भी अता कर मिरे मौला।
आँखों से तो ये क़र्ज़ अदा हो नहीं सकता।।
दरबार में जाना मिरा दुश्वार बहुत है।
जो शख़्स क़लंदर हो गदा हो नहीं सकता।।
Best ghazal of munawar Rana
• थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए।
हम अपनी क़ब्र-ए-मुक़र्रर में जा के लेट गए।।
तमाम उम्र हम इक दूसरे से लड़ते रहे।
मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए।।
न जाने कैसी थकन थी कभी नहीं उतरी।
चले जो घर से तो दफ़्तर में जा के लेट गए।।
सजाए फिरते थे झूटी अना जो चेहरों पर।
वो लोग क़स्र-ए-सिकंदर में जा के लेट गए।।
सज़ा हमारी भी काटी है बाल-बच्चों ने।
कि हम उदास हुए घर में जा के लेट गए।।
मुनव्वर राना ग़ज़ल इन हिंदी
• आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए।
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए।।
ऐरे-ग़ैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों।
आप को औरत नहीं अख़बार होना चाहिए।।
आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं।
आप कश्ती हैं तो हम को पार होना चाहिए।।
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे।
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए।।
Munawwar Rana गज़ल
• अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया।
तेरी कलाई से ये कड़ा भी उतर गया।।
वो मुतमइन बहुत है मिरा साथ छोड़ कर।
मैं भी हूँ ख़ुश कि क़र्ज़ मिरा भी उतर गया।।
पानी में वो कशिश है कि अल्लाह की पनाह।
रस्सी का हाथ थामे घड़ा भी उतर गया।।
रुख़्सत का वक़्त है यूँही चेहरा खिला रहे।
मैं टूट जाऊँगा जो ज़रा भी उतर गया।।
सच बोलने में नश्शा कई बोतलों का था।
बस ये हुआ कि मेरा गला भी उतर गया ।।
वो मुफ़्लिसी के दिन भी गुज़ारे हैं मैं ने जब।
चूल्हे से ख़ाली हाथ तवा भी उतर गया।।
Munawwar rana ki Ghazal
• ये बुत जो हम ने दोबारा बना के रक्खा है।
इसी ने हम को तमाशा बना के रक्खा है।।
यहाँ पे कोई बचाने तुम्हें न आएगा।
समुंदरों ने जज़ीरा बना के रक्खा है।।
तमाम उम्र का हासिल है ये हुनर मेरा।
कि मैं ने शीशे को हीरा बना के रक्खा है।।
मैं बच गया तो यक़ीनन ये मोजिज़ा होगा।
सभी ने मुझ को निशाना बना के रक्खा है।।
कोई बता दे ये सूरज को जा के हम ने भी।
शजर को धूप में छाता बना के रक्खा है।।
मुनव्वर राणा शायरी / Munawwar Rana shayari
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Munawwar rana shayari |
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• तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो।
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है।।
Tumhaaree aankhon kee tauheen hai zara socho
tumhaara chaahane vaala sharaab peeta hai
~Munawwar Rana
• अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो।
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो।।
Ab judaee ke safar ko mire aasaan karo
tum mujhe khvaab mein aa kar na pareshaan karo
~मुनव्वर राणा
मुनव्वर राना शायरी हिंदी माँ
• चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है।।
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।।
Chalatee phiratee huee aankhon se azaan dekhee hai
main ne jannat to nahin dekhee hai maan dekhee hai
~Munawwar Rana.
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Munawwar Rana shayari |
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• इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है।।
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है।।
Is tarah mere gunaahon ko vo dho detee hai
maan bahut gusse mein hotee hai to ro detee hai
~Munawwar rana
मुनव्वर राना दोस्ती शायरी
• किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई।।
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई।।
Kisee ko ghar mila hisse mein ya koee dukaan aaee
main ghar mein sab se chhota tha mire hisse mein maan aaee
~Munawwar rana
मुनव्वर राना के मशहूर शेर
• सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर।।
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते।।
So jaate hain futapaath pe akhabaar bichha kar
mazadoor kabhee neend kee golee nahin khaate
~Munawwar rana
Munawwar rana shayari in hindi
• कुछ बिखरी हुई यादों के क़िस्से भी बहुत थे।।
कुछ उस ने भी बालों को खुला छोड़ दिया था।।
Kuchh bikharee huee yaadon ke qisse bhee bahut the
kuchh us ne bhee baalon ko khula chhod diya tha
~Munawwar Rana
मुनव्वर राणा शायरी
• कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में।।
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है।।
Kal apane-aap ko dekha tha maan kee aankhon mein
ye aaeena hamen boodha nahin bataata hai
~ munawwar Rana
मुनव्वर राना शायरी माँ
• मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना।।
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती।।
munawwar maa ke aage yoon kabhee khul kar nahin rona
jahaan buniyaad ho itanee namee achchhee nahin hotee
~मुनव्वर राणा
Munawwar Rana shayari status
• ये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ।।
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा।।
Ye soch ke maan baap kee khidamat mein laga hoon
is ped ka saaya mire bachchon ko milega
~Munawwar Rana
Munawwar Rana shayari on mother
• बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर।।
माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है।।
Barbaad kar diya hamen parades ne magar
maan sab se kah rahee hai ki beta maze mein hai
~Munawwar Rana
munawwar rana poetry
• फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं।।
वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं।।
Farishte aa kar un ke jism par khushboo lagaate hain
vo bachche rel ke dibbon mein jo jhaadoo lagaate hain
~Munawar Rana
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मुनव्वर राना शायरी |
maa munawwar rana
• किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा।।
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा।।
Kisee ke zakhm par chaahat se pattee kaun baandhega
agar bahanen nahin hongee to raakhee kaun baandhega
~Munawwar Rana
Best shayari of munawwar rana
• गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना।।
आ के बरसात तिरे सामने तौबा कर ले।।
Gar kabhee rona hee pad jae to itana rona
aa ke barasaat tire saamane tauba kar le
~Munawwar Rana
Munawwar rana shayari 2023
• लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है।।
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है।।
lipat jaata hoon maan se aur mausee muskuraatee hai
main urdoo mein gazal kahata hoon hindee muskuraatee hai
~Munawar Rana
munawwar rana sher
• हँस के मिलता है मगर काफ़ी थकी लगती हैं।।
उस की आँखें कई सदियों की जगी लगती हैं।।
Hans ke milata hai magar kaafee thakee lagatee hain
us kee aankhen kaee sadiyon kee jagee lagatee hain
~Munawwar Rana
मुनव्वर राना शायरी / munawwar Rana shayari
• अब आप की मर्ज़ी है सँभालें न सँभालें।।
ख़ुशबू की तरह आप के रूमाल में हम हैं।।
Ab aap kee marzee hai sanbhaalen na sanbhaalen
khushaboo kee tarah aap ke roomaal mein ham hain
~Munawwar Rana
Munawwar rana poetry in English
• मोहब्बत एक पाकीज़ा अमल है इस लिए शायद।।
सिमट कर शर्म सारी एक बोसे में चली आई।।
Mohabbat ek paakeeza amal hai is lie shaayad
simat kar sharm saaree ek bose mein chalee aaee
~Munawwar Rana
Munawwar rana shayari maa ke liye
• खिलौनों के लिए बच्चे अभी तक जागते होंगे।।
तुझे ऐ मुफ़्लिसी कोई बहाना ढूँड लेना है।।
Khilaunon ke lie bachche abhee tak jaagate honge
tujhe ai muflisee koee bahaana dhoond lena hai.
~Munawwar Rana
Munawwar rana shayari
• दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँखें।।
रौशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता।।
Dahaleez pe rakh dee hain kisee shakhs ne aankhen
raushan kabhee itana to diya ho nahin sakata
~Munawwar Rana
Munawwar rana shayari in hindi
• वही हुआ कि मैं आँखों में उस की डूब गया।।
वो कह रहा था भँवर का पता नहीं चलता।।
Vahee hua ki main aankhon mein us kee doob gaya
vo kah raha tha bhanvar ka pata nahin chalata
~Munawar Rana
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