KS Siddiqui : केएस सिद्दीकी के 5 नई गजले पढ़िए

KS Siddiqui shayari : प्रिय दोस्तों आज हम आपको केएस सिद्दीकी के 5 सबसे बेहतरीन गजलें बताने वाले है जो आपके जिंदगी पर गहरा असर छोड़ेगी पिछले लेख में हमने KS Siddiqui के बारे में विस्तार से बताया था अगर आपने नही पढ़ा तो इसपर क्लिक कर के KS Siddiqui के बारे में पढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं केएस सिद्दीकी के 5 बड़ी गजलें। 



KS Siddiqui 


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• मैं सास लेता हु तो वो हर सांस में हैं।।

ऐसा लगता है जैसे कोई मेरे पास में हैं।।


मैं उसे भूलने की बात कह रहा हु ।।

जो ख़ुद मेरे हर एक एहसास में है ।।


मैं डूब रहा हु गमों का बोझ लेकर।।

जिंदगी डूबा मुझे तू किसके आस में हैं ।।


जिसने मुझे पत्थर से मोम बनाया हैं।।

ये दिल उसी शख्स के तलाश में हैं ।।


कोई नही है इस अंधेरे कमरे में "कायम"।।

फिर ये दिल किसे देखकर उदास में हैं ।।



• या खुदा आज जैसे मैं टूटा हु वैसे न कोई टूटा करें।।

दो दिल मोहब्बत करें लेकिन उन्हें न कोई जुदा करें।।


मोहब्बत में अकेले रहने को सब्र देना या खुदा ।।

न हो सब्र दिल को तो किसी से दिल न मिला करें।।


दिन तो कट जाता हैं उसके गलियों में घूमते हुए।।

बस रात को कह दो जल्दी सुबह किया करें ।।


मैं ये नही चाहता की वो शख्स मिले मुझे।।

बस यही चाहता हु की जहां रहे खुश रहा करे ।।


हम बद–किस्मत है "कायम" मोहब्बत के मामले में।।

बस उसके मोहब्बत का सितारा चमकता रहा करे ।।




• मेरे सीने में आज हलचल सा क्यों हैं।।

ये दिल उस के लिए परेशान सा क्यों हैं ।।


वो शख्स अब नहीं है तेरा यकीन कर।।

किसी और का हैं वो तू हैरान सा क्यों हैं ।।


उसने सिर्फ़ मोहब्बत ही तो सिखाया हैं ।।

फिर मुझपर उनका अहशान सा क्यों है ।।


"कायम" छू कर तुझे पत्थर से मोम कर दिया ।।

तुझ में जान आ गई अब बे–जान सा क्यों हैं ।।



• तुझको मोहब्बत का हुनर नहीं आयेगा।।

जब तक तेरे इश्क़ में असर नहीं आयेगा।।


हुस्न को देखकर इश्क़ कहते हो यार।।

छोड़ो तुम्हे तो वो नज़र नहीं आयेगा।।


उसके बगैर तो गुज़र गया ये साल भी।।

अब तो उसके बिना शहर नहीं आयेगा।।


जिसके लबो को छूआ था कभी गुलाब।।

अब तो उस बाग में खंडहर नहीं आएगा।।


यूं ही चलते उसके नज़र में बस गया।।

"कयाम" होस में रहते डगर नहीं आएगा।।


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• है यहां पीने मै मज़ा कुछ भी नहीं साकी।।

बिन पिए जीने में मज़ा कुछ भी नहीं साकी।।


हम तो चले थे सोच कर ना पिएगे कभी।।

सिर्फ़ सोच के रहने में मज़ा कुछ भी नहीं साकी।।


उठाया जो जाम मयखाने में दिल खुश हुआ।।

दिल का दर्द सहने में मज़ा कुछ भी नहीं साकी।।


मै पीता हू दुनियां को खुशी रखने के लिए।।

दुनियां को दुखी रखने में मज़ा कुछ भी नहीं साकी।।


कर दिया बर्बाद उसने जब गुलिंस्ता "कयाम"।।

फिर अब बेहोश रहने में मज़ा कुछ भी नहीं साकी।।


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