Shakeel badayuni: प्रिय दोस्तों आज हम आपको एक बेहतरीन शायर के बारे में बताने जा रहा हु जिसका नाम शकील बदायुनी हैं शकील बदायुनी { shakeel badayuni } भारतीय कवि, गीतकार और शायर थे, जिनका जन्म 3 अगस्त, 1916 को बदायूं, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था और उनका निधन 20 अप्रैल, 1970 को बॉम्बे, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था। उन्हें एक गीतकार के रूप में हिंदी फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।
शकील बदायुनी { shakeel badayuni } का जन्म अबू मोहम्मद अब्दुल वली के रूप में हुआ था, लेकिन जब उन्होंने कविता लिखना शुरू किया और लोकप्रियता मिल गई तो उन्होंने "शकील बदायुनी" नाम अपनाया। उन्होंने बदायूं में अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए अलीगढ़ चले गए।
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Shakeel badayuni |
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शकील बदायुनी {shakeel Badayuni} ने एक शायर के रूप में अपना करियर शुरू किया और जल्द ही अपनी बेहतरीन और रोमांटिक कविता के लिए जाना जाने लगा। शकील बदायुनी (Shakil badayuni) एक बेहतरीन लेखक थे और उन्होंने अपने जीवनकाल में 600 से अधिक ग़ज़लें और नज़्में लिखीं। वह प्रगतिशील लेखकों के आंदोलन से जुड़े थे और उनकी कविताएँ अक्सर अपने समय के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को दर्शाती थीं।
1946 में, शकील बदायुनी (shakeel badayuni) एक गीतकार के रूप में हिंदी फिल्म उद्योग में काम करने के लिए बॉम्बे चले गए। वह जल्द ही मार्मिक और रोमांटिक गीत गजलें लिखने की अपनी क्षमता के लिए जाने गए जो लोकप्रिय और यादगार दोनों थे। उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध गीतों में चौदहवीं का चांद (1960) फिल्म का "चौदहवीं का चांद हो", हीर रांझा (1970) फिल्म का "ये दुनिया ये महफिल" और फिल्म घराना का "हुस्नवाले तेरा जवाब नहीं" शामिल हैं। ( 1961)।
अपने पूरे करियर के दौरान, शकील बदायुनी (Shakil badayuni) को हिंदी फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें 1958, 1961 और 1963 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल है। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था।
शकील बदायुनी {shakeel badayuni } की कविता और गीत भारत और दुनिया भर में कविता और संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं। शकील बदायुनी के लिखे गज़लें मोहब्बत करने वालों के लिए वरदान साबित हैं, इनके शेर लोगों के लिए जीने का सलीका सिखाती हैं।
Shakeel Badayuni Ghazal
• जो दिल पे गुज़रती है वो समझा नहीं सकते।।
हम देखने वालों को नज़र आ नहीं सकते।।
मग़रूर न हो फ़ज़्ल-ए-ख़िज़ाँ आ के चमन में।।
ऐसे भी हैं कुछ फूल जो मुरझा नहीं सकते।।
माना वो मुझे अपनी निगाहों से गिरा दें।।
लेकिन मिरे एहसास को ठुकरा नहीं सकते।।
माना कि तिरे लुत्फ़-ओ-करम ख़्वाब हैं लेकिन।।
हर शख़्स को ये ख़्वाब नज़र आ नहीं सकते।।
Shakeel badayuni ghazals
• जुनूँ से गुज़रने को जी चाहता है।।
हँसी ज़ब्त करने को जी चाहता है ।।
वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैं ।।
मगर बात करने को जी चाहता है।।
जहाँ इश्क़ में डूब कर रह गए हैं।।
वहीं फिर उभरने को जी चाहता है।।
निज़ाम-ए-दो-आलम की हो ख़ैर या-रब।।
फिर इक आह करने को जी चाहता है।।
ब-ईं ख़ुद-सरी वो ग़ुरूर-ए-मोहब्बत।।
उन्हें सज्दा करने को जी चाहता है।।
shakeel badayuni ghazal
• कैसे कह दूँ की मुलाक़ात नहीं होती है।।
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है।।
छुप के रोता हूँ तिरी याद में दुनिया भर से।।
कब मिरी आँख से बरसात नहीं होती है।।
आप लिल्लाह न देखा करें आईना कभी।।
दिल का आ जाना बड़ी बात नहीं होती है।।
जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कि कैसे हो शकील।।
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है।।
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Shakeel badayuni |
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गजल प्यार मोहब्बत की
• ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया।।
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया।।
मुझ पे ही ख़त्म हुआ सिलसिला-ए-नौहागरी।।
इस क़दर गर्दिश-ए-अय्याम पे रोना आया।।
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है।।
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया।।
जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का शकील।।
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया।।
शकील बदायूंनी शायरी
• अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे।।
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे।।
Ab to Khushi ka gam hai na gam ki khushi mujhe
Be his bana chuki hai bahut jindgi mujhe
~Shakeel badayuni
Shakeel badayuni shayari in Hindi
• कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है।।
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है।।
Kaise kah du ki mulakat nahi hoti hai
Roz milte hai magar baat nahi hoti hai
~ Shakeel badayuni
Shakeel badayuni shayari
• उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद।।
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल।।
Un ka zikr un ki Tamanna un ki yaad
Vakt kitna kimati hai aaj kal
~Shakeel badayuni
Shakeel badayuni poetry
• जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई।।
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई।।
Jane vale se mulakat na hone pai
Dil ki dil me rahi bat na hone payi
~shakeel badayuni
Shakeel badayuni Ghazal
• मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम।।
मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है।।
Mohabbat hi me milte hai shikayat ke maje paiham
Mohabbat jitni badhti hai shikayat hoti jati hai
~Shakeel badayuni
• तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो।।
आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना।।
Tum phir usi ada se angdai le ke Hans do
Aa jayega palat ker gujara hua jamana
~Shakeel badayuni
Best of shakeel badayuni
• आप जो कुछ कहें हमें मंज़ूर।।
नेक बंदे ख़ुदा से डरते हैं।।
Aap jo kuch kahe hame manjoor
Nek bande khuda se darte hai
~shakeel badayuni
शकील बदायूंनी शायरी
• दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ।।
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ।।
Duniya ki rivayat se begana nahi hu
Chhedo n mujhe mai koi deevana nahi hu
~Shakil badayuni
Taaj Mahal per shayari
• इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल।।
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है।।
Ek shahnshah ne banava ke Hansi taaj Mahal
Sari duniya ko mohabbat ki nishani di hai
~ Shakeel badayuni
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