Kumar vishwas poem in hindi : कुमार विश्वास कविता,गजलें शेर और जीवनी पढ़िए / kumar vishwas poetry collection

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Dr. Kumar vishwas
: प्रिय दोस्तों अपनी शायरी {Shayari} से नए युग का निर्माण करने वाले डॉ. कुमार विश्वास {Dr. Kumar vishwas}आज के सबसे मशहूर और पसंदीदा शायर {Poet} हैं, इनकी शख्सियत का अंदाज़ा इस बात से लगा लीजिए की जिस मुशायरे और कवि सम्मेलन में इनके नाम का एलान हो जाता हैं वो कार्यक्रम उसी दिन कामयाब मान लिया जाता हैं। कुमार विश्वास {Kumar vishwas} का जन्म 10 फ़रवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हुआ था, इनके पिता का नाम डा. चंद्रपाल शर्मा जो पेशे से प्रोफ़ेसर थे और इनकी माता का नाम रमा शर्मा हैं। कुमार विश्वास {Kumar vishwas}का बचपन से मन साहित्य की ओर ही लगता था लेकिन उनके पिता को ये मंजूर न था। लेकिन कुमार विश्वास {kumar vishwas} नहीं माने और कविता , गजलें लिखते रहें, और पढ़ाई पर भी ध्यान लगाने लगे, हिंदी (Hindi) में सबसे ज्यादा गहरा अध्यन किया और इस विषय से पीएचडी की, अब तक डॉ. कुमार विश्वास {Dr. Kumar vishwas} की लोकप्रियता काफ़ी फैल चुकी थी और दूर दूर के कवि सम्मेलन से बुलावा आने लगा। 

सन 1996 में कुमार विश्वास { Kumar vishwas} ने अपना पहला काव्य संग्रह " एक पगली लड़की के बिन" को प्रकाशित किया जो लोगो में काफ़ी ज्यादा मशहूर हो गई। सन 2007 में दूसरा काव्य " कोई दीवाना कहता हैं" को प्रकाशित किया जो अब तक का सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब बन गई। कुमार विश्वास {Kumar vishwas} की लोकप्रियता इतनी है कि इनके एक कार्यक्रम की फीस लाखों रुपए में होती हैं। कुमार विश्वास kumar vishwas को इनके इस काम के लिए अब तक कई अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं जैसे, कुंवर बेचैन अवॉर्ड, साहित्य भारती, हिंदी उर्दू साहित्य अवॉर्ड, जैसे पद से सम्मानित किया जा चुका हैं। 
 डॉ.कुमार विश्वास ( फ़ोटो सोशल मीडिया)






डॉ. कुमार विश्वास {Dr. Kumar vishwas}की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हैं, इन्होंने अपनी कविता, गजलें भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई, पाकिस्तान, बांग्लादेश, आबूधाबी, सिंगापुर, जैसे तमाम देशों में अपना लोहा मनवाया हैं,  और लोकप्रिय हासिल की हैं। आइए जानते है कुमार विश्वास की गजलें, कविता और शेर। 


कुमार विश्वास की गजलें

• उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे।।
वो मिरा होने से ज़ियादा मुझे पाना चाहे।।

मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा।।
ये मुसाफ़िर तो कोई और ठिकाना चाहे।।

ज़िंदगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा।।
वो तराना है जिसे दिल नहीं गाना चाहे।।

एक बनफूल था इस शहर में वो भी न रहा।।
कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे।।

कुमार विश्वास की कविताएं

• फिर मिरी याद आ रही होगी।।
फिर वो दीपक बुझा रही होगी।।

अपने बेटे का चूम कर माथा।।
मुझ को टीका लगा रही होगी।।

फिर उसी ने उसे छुआ होगा।।
फिर उसी से निभा रही होगी।।

फिर से इक रात कट गई होगी।।
फिर से इक रात आ रही होगी।।

जिस्म चादर सा बिछ गया होगा।।
रूह सिलवट हटा रही होगी।।

फिर मिरे फेसबुक पे आ कर वो।।
ख़ुद को बैनर बना रही होगी।।

Kumar vishwas poem in Hindi 








कुमार विश्वास की देशभक्ति कविता


• बात करनी है बात कौन करे।।
दर्द से दो दो हाथ कौन करे।।

अब तुझे रब कहें या बुत समझें।।
इश्क़ में ज़ात-पात कौन करे।।

ज़िंदगी भर की थे कमाई तुम।।
इस से ज़्यादा ज़कात कौन करे।।

हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं।।
चाँद न हो तो रात कौन करे।।


Kumar vishwas koi deewana kehta hai 

• कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है ।।
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है ।।

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ  तू मुझसे दूर कैसी है ।।
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है ।।

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है ।।
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है ।।

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं ।।
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है ।।

बदलने को तो इन आंखों के मंजर कम नहीं बदले।।
तुम्हारी याद के मौसम हमारे गम नहीं बदले।।

तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी तब तो मानोगी।।
जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले।।

Kumar vishwas latest 

• ख़ुद को आसान कर रही हो ना।।
हम पे एहसान कर रही हो ना।।

नींद सपने सुकून उम्मीदें।।
कितना नुक़सान कर रही हो ना।।

ज़िंदगी हसरतों की मय्यत है।।
फिर भी अरमान कर रही हो ना।।

हम ने समझा है प्यार पर तुम तो।।
जान पहचान कर रही हो ना।।

Kumar vishwas poem 

• मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा।।
जागती रहना तुझे तुझ से चुरा ले जाऊँगा।।

कौन सी शय मुझ को पहुँचाएगी तेरे शहर तक।।
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा।।

कोशिशें मुझ को मिटाने की भले हों कामयाब।।
मिटते मिटते भी मैं मिटने का मज़ा ले जाऊँगा।।

हो के क़दमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा।।
ख़ाक में मिल कर भी मैं ख़ुशबू बचा ले जाऊँगा।।


Kumar vishwas famous poem 


• ये ख़यालों की बद-हवासी है।।
या तिरे नाम की उदासी है।।

तुम ने हम को तबाह कर डाला।।
बात होने को ये ज़रा सी है।।

आइने के लिए तो पतली हैं।।
एक काबा है एक काशी है।।


Kumar vishwas famous poem 

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Kumar vishwas shayari / कुमार विश्वास शायरी 

• उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे।।
वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे।।

Usi ki tarah mujhe sara jamana chahe
Vo mira hone se jyada mujhe pana chahe

~Kumar Vishwas 

Kumar vishwas shayari 





Kumar vishwas poetry in Hindi 


• कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है।।
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।।

Koi deevana kahata hai koi pagal samjhta hai
Magar dharati ki bechaini ko bas badal samjhta hai

~कुमार विश्वास 

doctor kumar vishwas 

• दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए।।
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए।।

Dil ke tamam jakhm teri ha se bhar gaye
Jitne kathin the raste vo sab gujar gaye

~Kumar vishwas 

Kumar vishwas famous poem 


• कोई पत्थर की मूरत है किसी पत्थर में मूरत है।।
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी खुबसूरत है।।

Koi pathar ki murat hai kisi pathar me murat hai
Lo hamne dekh li duniya jo itna khubsurat hai

~Kumar vishwas 

Kumar vishwas 

• पगली सी एक लड़की से शहर ये ख़फ़ा है ।।
वो चाहती है पलकों पे आसमान रखना।।

Pagali si ek ladki se sara shahr khafa hai
Vo chahti hai palko pe aasman rakhna 

~ Dr. Kumar vishwas 


Kumar vishwas ki ghazals 






Kumar vishwas Kavita 2023


• केवल फ़क़ीरों को है ये कामयाबी हासिल ।।
मस्ती से जीना और ख़ुश सारा जहान रखना ।। 

Keval fakiron ko hai ye kamyabi hasil
Masti se jina aur khush sara jahan rakhna

~Kumar vishwas 

कुमार विश्वास की कविता 

• क़ुबूल हैं किसी गुमनाम के भेजे हुए गुल।।
हमने तो अपनों के पत्थर तलक सँभाले हैं ।।

Kabool hai kisi gumana ke bheje huye gul
Hamne to apnon ke Pather talak sambhale hai

~Kumar Vishwas 

कुमार विश्वास के अनमोल विचार

• अपनी दुनिया अपनी धुन मे खो जाऊ तो क्या होगा।।
जैसी तुम हो मै भी वैसा हो जाऊ तो क्या होगा।।

Apni duniya apni dhun me kho jau to kya hoga
Jaisi tum ho mai bhi vaisa ho jau to kya hoga 

~Kumar vishwas 

कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

• ये उर्दू बज्म है और में तोह हिंदी माँ का जाया हु ।।
जबाने मुल्क की बेहेने है ये पैगाम लाया हु।।

Ye urdu bazm hai aur mai to Hindi ma ka jaya hu
Jabane mulk ki bahne hai ye paigam laya hu 

~Kumar vishwas


Kumar vishwas poem in Hindi 

• ये बहुत ग़म की बात हो शायद।।
अब तो ग़म भी गँवा-चुका हूँ मैं।।

Ye bahut gam ki baat ho shayad
Ab to gam bhi gava chuka hu mai

~Kumar vishwas 

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1 टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
this article is very usefull
thank you tsnn news