Hasan Raza Barelavi : सूफ़ी शायर हसन बरेलवी का जीवन परिचय गजलें और रूहानी शेर पढ़िए..

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Hasan Barelavi : हसन बरेलवी का पूरा नाम मौलाना हसन रजा ख़ान बरेलवी ( Hasan Raza Khan Barelavi ) था। हसन बरेलवी इस्लामी विद्वान् , सूफ़ी शायर , अहले सुन्नत और आशिकाने रसूल इमाम अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी ( आला हज़रत ) के छोटे भाई थे। हसन बरेलवी का जन्म 1 अक्टूबर 1959 को बरेली, भारत में हुआ था, इनके वालिद का नाम नकी अली खां ( Naqi Ali Khan) था, जो भारतीय सुन्नी हनफी इस्लामी विद्वान् हफीज व मुफ्ती और शायर थे, जो 20 से ज्यादा किताबे और हजारों फतवे जारी किए थे। हसन बरेलवी बचपन में ही सारे धार्मिक किताबे पढ़ी, लेकिन इनका मन उर्दू शायरी ( Urdu Poetry ) में ही लगा जो लफ्जों से बयां हुई , उसके बाद हसन बरेलवी ने अपना उस्ताद मिर्ज़ा दाग देलहवी को बनाया जो, जो उस समय के सबसे बड़े उस्ताद थे, दाग देलहवी आज के दौर के सबसे बड़े शायर   डॉ. अल्लामा इक़बाल के भी उस्ताद थे। हसन बरेलवी ने उर्दू शायरी ( Urdu shayari ) का शुरुआती शिक्षा अपने उस्ताद से ही सीखी , इसके बाद हसन बरेलवी ने एक से बढ़ कर एक रूहानी ग़ज़ल और शेर लिखें, जिससे लोग प्रेरित होकर हसन बरेलवी को कई लोगो ने अपना उस्ताद बनाया। और उस्ताद के रूप में हसन बरेलवी काफ़ी कामयाब रहें।


(हसन बरेलवी)


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हसन बरेलवी का मृत्यु..


हसन राजा ख़ान बरेलवी अपने कलाम से लोगों में इस्लाम और इश्क़ की अहमियत समझाया, और एक से बढ़कर एक शेर लिखें, हसन बरेलवी महज़ 49 साल कि उम्र में 18 अक्टूबर 1908 को इस दुनियां को अलविदा कह दिया था। हसन बरेलवी के जनाजे का नमाज़ ख़ुद आला हज़रत ने पढ़ाया था और इनको अपने हाथों से कब्र में उतारा था।



हसन बरेलवी के लिखें गज़ल..



1.मिल गया दिल निकल गया मतलब।
अब आपको किसी से क्या मतलब।

हुस्न  का  रोब  ज़ब्त  का  गर्मी।
दिल में घुट घुट कर रह गया मतलब।

कुछ है मतलब तो दिल से मतलब है।
मतलब-ए-दिल से उन को क्या मतलब।

न सही  इश्क़  दुख  सही  नासेह।
तुझ को क्या काम तुझ को क्या मतलब।

मुज़्दा  ऐ दिल कि  नीम -जाँ हूँ मैं।
अब तो पूरा हुआ तिरा मतलब।

उस को घर से निकाल कर ख़ुश हो।
क्या हसन था  रक़ीब का मतलब।।




2. मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है।
तुम्हारी दिल-लगी को महफ़िल-ए-अग़्यार कैसी है।।

मआज़-अल्लाह बर्क़-ए-हुस्न किस की आँखें उठने दे।
तमाशाई नहीं वाक़िफ़ कि शक्ल-ए-यार कैसी है।।

हमारे घर से जाना मुस्कुरा कर फिर ये फ़रमाना।
तुम्हें मेरी क़सम देखो मिरी रफ़्तार कैसी है।।



3. कुछ हसीनों की मोहब्बत भी बुरी होती है।
कुछ ये बे-चैन तबीअत भी बुरी होती है।।

उस ने दिल माँगा तो इंकार का पहलू न मिला।
ख़ाना-बर्बाद मुरव्वत भी बुरी होती है।।

जीते-जी मेरे न आए तो न आए अब आओ।
क्या शहीदों की ज़ियारत भी बुरी होती है।।

आप की ज़िद ने मुझे और पिलाई हज़रत।
शैख़-जी इतनी नसीहत भी बुरी होती है।।

हसन आप कहाँ और कहाँ बज़्म-ए-शराब।
पीर-ओ-मुरशिद बुरी सोहबत भी बुरी होती है।।


4. उनका जलवा नही देखा जाता।
 देखा  देखा  नही  देखा  जाता।।

उल्फत उनकी नहीं छोड़ी जाती।
हाल दिल का नही देखा जाता ।।

कत्ल करने की वो जल्दी थी तुम्हें।
अब तड़पना उसका नही देखा जाता।।

देखने ही के  लिए  हैं  आँखें।
उन से क्या क्या नहीं देखा जाता।।

नामा पूरा वो  हसन क्या देखें।
नाम  पूरा  नहीं  देखा  जाता।।




5. कौन कहता है कि आ कर देख लो।
हाल आशिक़ का बुला कर देख लो।।

पूछना ये है कि पूछो मुझ से हाल।
देखना ये है कि आ कर देख लो।।

पूछते क्या हो कि दिल में कौन है।
लो ये आईना उठा कर देख लो।।

वो अगर देखे तो आँखें फूट जाएँ।
तुम हसन  को छुप - छुपा कर देख लो।।


हसन बरेलवी के शेर, Hasan Barelavi ke Sher 





1. ओ वस्ल में मुँह छुपाने वाले।
ये भी कोई वक़्त है हया का।।


2. किस के चेहरे से उठ गया पर्दा।
झिलमिलाए चराग़ महफ़िल के।।


3. जान अगर हो जान तो क्यूँ-कर न हो तुझ पर निसार।
दिल अगर हो दिल तिरी सूरत पे शैदा क्यूँ न हो।।


4. उल्फ़त हो किसी की न मोहब्बत हो किसी की।
पहलू में न दिल हो न ये हालत हो किसी की।।



5. क्या कहूं क्या है मेरे दिल की खुशी ।
    तुम चले  जाओगे  वफ़ा  हो कर।।


6. शीशा उठा कर ताक़ से हम ने।
  ताक़ पे रख दी साक़ी तौबा।।


7. चोट जब दिल पर लगे फ़रियाद पैदा क्यूँ न हो।
ऐ सितम-आरा जो ऐसा हो तो ऐसा क्यूँ न हो।।


















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