Bashir badr : बशीर बद्र के 11 बड़ी गजलें पढ़िए जो आपकी जिंदगी में जुनून पैदा कर देगा

Bashir Badr Shayari : मोहब्बत का रूहानी शायर बशीर को कहां जाता हैं, बशीर बद्र उर्दू गज़ल { Urdu ghazals } को नए महबूब की  की तरह तराशा है और एक नई जान फूंकी हैं। बशीर बद्र (bashir Badr) आज के सबसे पसंदीदा शायर कहें जाते हैं। आइए जानते हैं इनकी 11 सबसे बड़ी गजलें। 


Bashir badr shayari 







बशीर बद्र की गजलें / Bashir badr ghazals 



• न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की

मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
ज़बाँ सब समझते हैं जज़्बात की

उजालों की परियाँ नहाने लगीं
नदी गुनगुनाई ख़यालात की

मुक़द्दर मिरी चश्म-ए-पुर-आब का
बरसती हुई रात बरसात की

कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की




• वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है

उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है

कहाँ से आई ये ख़ुशबू ये घर की ख़ुशबू है
इस अजनबी के अँधेरे में कौन आया है

महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है

तमाम उम्र मिरा दिल उसी धुएँ में घुटा
वो इक चराग़ था मैं ने उसे बुझाया है

उसे किसी की मोहब्बत का एतिबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है



• जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है
यादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती है

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है

ख़ुश-रंग परिंदों के लौट आने के दिन आए
बिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है

यूँ प्यार नहीं छुपता पलकों के झुकाने से
आँखों के लिफ़ाफ़ों में तहरीर चमकती है

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है



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• मैं तुम को भूल भी सकता हूँ इस जहाँ के लिए
ज़रा सा झूट ज़रूर है दास्ताँ के लिए

मिरे लबों पे कोई बूँद टपकी आँसू की
ये क़तरा काफ़ी था जलते हुए मकाँ के लिए

मैं क्या दिखाऊँ मिरे तार तार दामन में
न कुछ यहाँ के लिए है न कुछ वहाँ के लिए

ग़ज़ल भी इस तरह उस के हुज़ूर लाया हूँ
कि जैसे बच्चा कोई आए इम्तिहाँ के लिए




• सिसकते आब में किस की सदा है
कोई दरिया की तह में रो रहा है

सवेरे मेरी इन आँखों ने देखा
ख़ुदा चारों तरफ़ बिखरा हुआ है

अँधेरी रात का तन्हा मुसाफ़िर
मिरी पलकों पे अब सहमा खड़ा है

हक़ीक़त सुर्ख़ मछली जानती है
समुंदर कैसा बूढ़ा देवता है

समेटो और सीने में छुपा लो
ये सन्नाटा बहुत फैला हुआ है

पके गेहूँ की ख़ुशबू चीख़ती है
बदन अपना सुनहरा हो चुका है

हमारी शाख़ का नौ-ख़ेज़ पत्ता
हवा के होंट अक्सर चूमता है

मुझे उन नीली आँखों ने बताया
तुम्हारा नाम पानी पर लिखा है



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• तलवार से काटा है फूलों-भरी डालों को
दुनिया ने नहीं चाहा हम चाहने वालों को

मैं आग था फूलों में तब्दील हुआ कैसे
बच्चों की तरह चूमा उस ने मिरे गालों को

अख़्लाक़ वफ़ा चाहत सब क़ीमती कपड़े हैं
हर रोज़ न ओढ़ा कर इन रेशमी शालों को

बरसात का मौसम तो लहराने का मौसम है
उड़ने दो हवाओं में बिखरे हुए बालों को

चिड़ियों के लिए चावल पौदों के लिए पानी
थोड़ी सी मोहब्बत दे हम चाहने वालों को

अब राख बटोरेंगे अल्फ़ाज़ के सौदागर
मैं आग पे रख दूँगा नायाब रिसालों को

मौला मुझे पानी दे मैं ने नहीं माँगा था
चाँदी की सुराही को सोने के पियालों को




• मोम की ज़िंदगी घुला करना।।
कुछ किसी से न तज़्किरा करना।।

मेरा बचपन था आइने जैसा।।
हर खिलौने का मुँह तका करना।।

एक लड़की थी खेल था उस का।।
गुड़िया गुड्डों का सिलसिला करना।।

फूल शाख़ों के हों कि आँखों के।।
रास्ते रास्ते चुना करना।।

ये रिवायत बहुत पुरानी है।।
नींद में आग पर चला करना।।

रास्ते में कोई खंडर होगा।।
शहसवारो वहाँ रुका करना।।



• मेरा उस से वादा था घर रहने का
अपनी छत के नीचे दुख-सुख सहने का

बारिश बारिश कच्ची क़ब्र का घुलना है
जाँ-लेवा एहसास अकेले रहने का

अब के आँसू आँखों से दिल में उतरे
रुख़ बदला दरिया ने कैसा बहने का

हिज्र विसाल के सारे क़िस्से झूटे हैं
हक़ मिलता है किस को अपना कहने का

जगमग जगमग मेरे जैसी आँखों में
एक अजीब ग़ुबार हवेली ढहने का



• सूरज चंदा जैसी जोड़ी हम दोनों
दिन का राजा रात की रानी हम दोनों

जगमग जगमग दुनिया का मेला झूटा
सच्चा सोना सच्ची चाँदी हम दोनों

इक दूजे से मिल कर पूरे होते हैं
आधी आधी एक कहानी हम दोनों

घर-घर दुख-सुख का इक दीपक जले बुझे
हर दीपक में तेल और बाती हम दोनों

दुनिया की ये माया कंकर पत्थर है
आँसू शबनम हीरा मोती हम दोनों

चारों ओर समंदर बढ़ती चिंता है
लहर लहर लहराती कश्ती हम दोनों

परबत-परबत बादल-बादल किरन-किरन
उजले पर वाले दो पंछी हम दोनों

मैं दहलीज़ का दीपक हूँ आ तेज़ हवा
रात गुज़ारें अपनी अपनी हम दोनों




• उदासी के चेहरे पढ़ा मत करो
ग़ज़ल आँसूओं से लिखा मत करो

बहर-हाल ये आग ही आग हैं
चराग़ों को ऐसे छुआ मत करो

दुआ आँसूओं में खिला फूल है
किसी के लिए बद-दुआ' मत करो

तुम्हें लोग कहने लगें बेवफ़ा
ज़माने से इतनी वफ़ा मत करो

अगर वाक़ई तुम परेशान हो
किसी और से तज़्किरा मत करो

ख़ुदा के लिए चाँदनी रात में
अकेले अकेले फिरा मत करो



• तुम अभी शहर में क्या नए आए हो
रुक गए राह में हादिसा देख कर

तुम जिन्हें फूल समझे हो आँखें न हों
पाँव रखना ज़मीं पर ज़रा देख कर

फिर दिये रख गईं तेरी परछाइयाँ
आज दरवाज़ा दिल का खुला देख कर

उस की आँखों का सावन बरसने लगा
बादलों में परिंदा घिरा देख कर

शाम गहरी हुई और घर दूर है
फूल सो जाएँगे रास्ता देख कर

फूल सी उँगलियाँ कंघियाँ बन गईं
उलझे बालों से माथा ढका देख कर


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