Akbar allahabadi shayari : अकबर इलाहाबादी (1878-1938) एक भारतीय साहित्यकार, कवि, लेखक और अभिव्यक्ति कलाकार थे। वह हिंदी और उर्दू के मशहूर लेखकों में से एक थे और उनकी गजलों, नज्मों और नाटकों का विस्तृत संग्रह है।
अकबर इलाहाबादी (17 नवंबर 1846 - 15 फरवरी 1921) भारत के एक मशहूर उर्दू शायर, लेखक और समाज सुधारक थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश जिले में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था।
अकबर इलाहाबादी का असली नाम सय्यद अक़बर हुसैन रिज़वी था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में पूरी की और फिर उन्होंने उर्दू साहित्य में उन्नति के लिए लखनऊ शहर जाकर अपनी शिक्षा जारी रखी।
अकबर इलाहाबादी शायरी { akbar allahabadi shayari } उर्दू भाषा {Urdu poetry} के एक प्रतिभाशाली शायर थे और उन्होंने अपने समय के बहुत सारे सामाजिक मुद्दों पर अपनी रचनाएं लिखीं। उनके द्वारा लिखे गए लेख और कविताएं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय में भी बहुत लोकप्रिय थीं।
उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से उर्दू भाषा के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी रचनाएं समाज सुधार के लिए महत्वपूर्ण थीं और उन्होंने एक समाज सुधार आंदोलन भी शुरू किया था। अकबर इलाहाबादी पेशे से एक वकील थे बाद में प्रमोशन हो कर जज के पद पर नियुक्ति हो गई थी। अकबर इलाहाबादी शायरी { akbar allahabadi shayari } में अपने हर दौर का दर्द ओ मिन्नत को बखूबी अपने शेरों में उतारा और समाज के लिए मिशाल पेश की । अकबर इलाहाबादी शायरी akabar allahabadi shayari हर दौर के लोगों में एक अलख जलाने में बेहतरीन मिशाल पेश की हैं। आइए जानते हैं अकबर इलाहाबादी शायरी akbar allahabadi shayari..
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Akabar allahabadi shayari |
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• साँस लेते हुए भी डरता हूँ
ये न समझें कि आह करता हूँ
इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है
साँस लेता हूँ बात करता हूँ
शैख़ साहब ख़ुदा से डरते हों
मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ
आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज
शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ
ये बड़ा ऐब मुझ में है अकबर
दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ
• आह जो दिल से निकाली जाएगी।।
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।।
क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद को।।
और इक बोतल चढ़ा ली जाएगी।।
इस नज़ाकत पर ये शमशीर-ए-जफ़ा।।
आप से क्यूँकर सँभाली जाएगी।।
शैख़ की दावत में मय का काम क्या।।
एहतियातन कुछ मँगा ली जाएगी।।
• तिरी ज़ुल्फ़ों में दिल उलझा हुआ है।।
बला के पेच में आया हुआ है।।
चले दुनिया से जिस की याद में हम।।
ग़ज़ब है वो हमें भूला हुआ है।।
कहूँ क्या हाल अगली इशरतों का।।
वो था इक ख़्वाब जो भूला हुआ है।।
हुई है इश्क़ ही से हुस्न की क़द्र।।
हमीं से आप का शोहरा हुआ है।।
बुतों पर रहती है माइल हमेशा।।
तबीअत को ख़ुदाया क्या हुआ है।।
परेशाँ रहते हो दिन रात अकबर।।
ये किस की ज़ुल्फ़ का सौदा हुआ है।।
• दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ।।
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ।।
ज़िंदा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी।।
हर-चंद कि हूँ होश में हुश्यार नहीं हूँ।।
अफ़्सुर्दा हूँ इबरत से दवा की नहीं हाजत।।
ग़म का मुझे ये ज़ोफ़ है बीमार नहीं हूँ।।
या रब मुझे महफ़ूज़ रख उस बुत के सितम से।।
मैं उस की इनायत का तलबगार नहीं हूँ।।
गो दावा-ए-तक़्वा नहीं दरगाह-ए-ख़ुदा में।।
बुत जिस से हों ख़ुश ऐसा गुनहगार नहीं हूँ।।
वो गुल हूँ ख़िज़ाँ ने जिसे बर्बाद किया है।।
उलझूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं हूँ।।
अफ़्सुर्दगी ओ ज़ोफ़ की कुछ हद नहीं अकबर।।
काफ़िर के मुक़ाबिल में भी दीं-दार नहीं हूँ।।
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Akabar allahabadi shayari |
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Akbar allahabadi shayari
• हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम।।
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।।
Ham aah bhi karte hai to ho jate hai badnam
Vo katl bhi karte hai to charcha nahi hota
• इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद।।
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता।।
Ishq najuk mijaj hai behad
Akl ka bojh utha nahi sakta
• हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना।।
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।।
Haya se sar jhuka lena ada se muskura dena
Hasino ko bhi kitna sahal hai bijali gira dena
अकबर इलाहाबादी शायरी
• मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं।।
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं।।
Majhabi bahas maine ki hi nahi
Falatu ka akl mujhme thi hi nahi
• आई होगी किसी को हिज्र में मौत।।
मुझ को तो नींद भी नहीं आती।।
Aayi hogi kisi ko hijr me maut
Mujh ko to nind bhi nahi aati
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अकबर इलाहाबादी शायरी |
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• लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को।।
मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं।।
Log kahate hai badlata hai jamana sab ko
Mard vo hai jo jamane ko badal dete hai
Akabar allahabadi poetry
• हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है।।
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है।।
Hangama hai kyu barapa thodi si jo pi li hai
Daka to nahi mara chori to nahi ki hai
Akabar allahabadi ke shayari
• बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है।।
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता।।
Bas jaan gaya mai teri pahchan yahi
Tu dil me to aata hai samjh me nahi
अकबर इलाहाबादी के गज़ल
• जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख।।
हुक्म होता है कि अपना नामा-ए-आमाल देख।।
Jab mai kahata hu ki ya Allah mera hal dekh
Hukm hota hai ki apna nam e amal dekh
• बताऊँ आप को मरने के बाद क्या होगा।।
पोलाओ खाएँगे अहबाब फ़ातिहा होगा।।
Bataun aap ko marne ke bad kya hoga
Polao khayenge ahbab fatiha hoga
• रक़ीबों ने रपट लिखवाई है जा जा के थाने में।।
कि अकबर नाम लेता है ख़ुदा का इस ज़माने में।।
Rakibon ne rapat likhvai hai ja ja ke thane me
Ki Akbar nam leta hai khuda ka is jamane me
• सीने से लगाएँ तुम्हें अरमान यही है।।
जीने का मज़ा है तो मिरी जान यही है।।
Sine se lagaye tumhe arman yahi hai
Jine ka maza hai to meri jaan yahi hai
• अब तो है इश्क़-ए-बुताँ में ज़िंदगानी का मज़ा।।
जब ख़ुदा का सामना होगा तो देखा जाएगा।।
Ab to hai ishq e buta me jindgani ka maza
Jab khuda ka samna hoga to dekha jayega
• जवानी की दुआ लड़कों को ना-हक़ लोग देते हैं।।
यही लड़के मिटाते हैं जवानी को जवाँ हो कर।।
Jawani ki dua ladako ko na haq log dete hai
Yahi lagake mitate hai jawani ko jawan hokar
• बोले कि तुझ को दीन की इस्लाह फ़र्ज़ है।।
मैं चल दिया ये कह के कि आदाब अर्ज़ है।।
Bole ki tujh ko din ki islah farz hai
Mai chal diya ye kah ke ki adab arz hai
• ख़ुदा महफूज़ रखें आपको तीनों बलाओं से।।
वकीलों से हक़ीमों से, हसीनों की निगाहों से।।
Khuda mahfooz rakhe apko tim balaon se
Vakilon se haqimon se hasinon ki nigahon se
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