Faiz Ahmad faiz : फैज़ अहमद फ़ैज़ की गजलें, जीवनी और शेर पढ़िए...

Faiz Ahamad faiz : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ एक भारतीय उर्दू शायर, लेखक और फ़िल्मकार थे। वह नज़्म, ग़ज़ल, शेर और कविताओं के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताओं में समाज और राजनीति के मुद्दों पर विचार किए जाते हैं।

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ faiz ahamad Faiz का जन्म 13 फरवरी, 1911 को सियालकोट भारत  में हुआ था। उन्होंने विभिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें उर्दू और हिंदी कविताओं के अलावा उन्होंने नाटकों की भी रचना की। 

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का कार्य उर्दू साहित्य की दुनिया में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। उनकी कविताएं एक ऐसी रचनात्मक जीवनशैली को दर्शाती हैं जो समाज की समस्याओं के प्रति अधिक उद्देश्यपूर्ण होती है।

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय और उसके बाद के समय में समाज और राजनीति के मुद्दों पर अपनी लेखनी के माध्यम से जोर दिया। उनकी कविताओं में भारत-पाकिस्तान विवाद, समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विभेदों, और आधुनिक जीवनशैली के बदलते मौसमों के साथ-साथ मानवता के मूल्यों के बारे में भी विस्तार से विचार किए गए हैं।


फ़ैज़ एक भारतीय समाज के विचारधारा के अभिन्न हिस्से थे और उनकी कविताओं में स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलनों का भी उल्लेख है। फैज़ अहमद फ़ैज़ एक इंकलाबी शायर और लेखक भी थे , अपने लिखे लेख से कई बार सत्ता को उलट पलट दिया था, जिसके बाद सरकारें इन्हे जेल में भी डाल दिया करती थी, और जेल से निकले के बाद फिर से फ़ैज़ अहमद फैज़ अपने इंकलाब तेवर शुरू कर देते थे। 

फैज अहमद फ़ैज़ Faiz ahamad faiz  के अलावा भारत-पाकिस्तान विवाद के समाधान के लिए भी उनका नाम लिया जाता है। उन्होंने दोनों देशों के बीच संवाद के माध्यम से समाधान के लिए अपनी निष्ठा और प्रयास को समर्पित किया। उन्हें इस क्षेत्र में बहुत बड़ी श्रद्धा और सम्मान मिलता है। फ़ैज़ एक दयालु और बेहद ही सरल स्वभाव के इंसान थे।

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ faiz ahamed faiz को साहित्य और सामाजिक क्षेत्र में कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, अखिल भारतीय उर्दू तरक़्क़ी-ए-उर्दू माहौल में जीवन भर के योगदान के लिए सम्मान, और भारत-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने के लिए सम्मान जैसे अनेक पुरस्कार से  नवाजा गया हैं।


Faiz Ahmed Faiz 



फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ग़ज़लें


• दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के।।

वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के।।


इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन।।

देखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के।।


वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं।।

तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के।।


भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज फ़ैज़।।

मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के।।


दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया।।

तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के।।


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ the Best of Faiz


• कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी।।

सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी।।


कब जान लहू होगी कब अश्क गुहर होगा।।

किस दिन तिरी शुनवाई ऐ दीदा-ए-तर होगी।।


वाइज़ है न ज़ाहिद है नासेह है न क़ातिल है।।

अब शहर में यारों की किस तरह बसर होगी।।


कब तक अभी रह देखें ऐ क़ामत-ए-जानाना।।

कब हश्र मुअय्यन है तुझ को तो ख़बर होगी।।


फ़ैज़ की गजलें 


• बात बस से निकल चली है।।

दिल की हालत सँभल चली है।।


अब जुनूँ हद से बढ़ चला है।।

अब तबीअ'त बहल चली है।।


लाख पैग़ाम हो गए हैं।।

जब सबा एक पल चली है।।


अश्क ख़ूनाब हो चले हैं।।

ग़म की रंगत बदल चली है।।


जाओ अब सो रहो सितारो।।

दर्द की रात ढल चली है।।


Faiz ahamed Faiz shayari 


• आए कुछ अब्र कुछ शराब आए।।

इस के बाद आए जो अज़ाब आए।।


बाम-ए-मीना से माहताब उतरे।।

दस्त-ए-साक़ी में आफ़्ताब आए।।


उम्र के हर वरक़ पे दिल की नज़र।।

तेरी मेहर-ओ-वफ़ा के बाब आए।।


कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब।।

आज तुम याद बे-हिसाब आए।।


न गई तेरे ग़म की सरदारी।।

दिल में यूँ रोज़ इंक़लाब आए।।


इस तरह अपनी ख़ामुशी गूँजी।।

गोया हर सम्त से जवाब आए।।


फ़ैज़ थी राह सर-ब-सर मंज़िल।।

हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए।।



• तेरी सूरत जो दिल-नशीं की है।।

आश्ना शक्ल हर हसीं की है।।


हुस्न से दिल लगा के हस्ती की।।

हर घड़ी हम ने आतिशीं की है।।


शैख़ से बे-हिरास मिलते हैं।।

हम ने तौबा अभी नहीं की है।।


अश्क तो कुछ भी रंग ला न सके।।

ख़ूँ से तर आज आस्तीं की है।।


कैसे मानें हरम के सहल-पसंद।।

रस्म जो आशिक़ों के दीं की है।।


फ़ैज़ औज-ए-ख़याल से हम ने।।

आसमाँ सिंध की ज़मीं की है।।


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे 


• बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे

बोल ज़बाँ अब तक तेरी है

तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा

बोल कि जाँ अब तक तेरी है

देख कि आहन-गर की दुकाँ में

तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन

खुलने लगे क़ुफ़्लों के दहाने

फैला हर इक ज़ंजीर का दामन

बोल ये थोड़ा वक़्त बहुत है

जिस्म ओ ज़बाँ की मौत से पहले

बोल कि सच ज़िंदा है अब तक

बोल जो कुछ कहना है कह ले


Faiz ahamed Faiz 


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे


• हम देखेंगे

लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

वो दिन कि जिस का वादा है

जो लौह-ए-अज़ल में लिख्खा है

जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ

रूई की तरह उड़ जाएँगे

हम महकूमों के पाँव-तले

जब धरती धड़-धड़ धड़केगी

और अहल-ए-हकम के सर-ऊपर


जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी

जब अर्ज़-ए-ख़ुदा के काबे से

सब बुत उठवाए जाएँगे

हम अहल-ए-सफ़ा मरदूद-ए-हरम

मसनद पे बिठाए जाएँगे

सब ताज उछाले जाएँगे

सब तख़्त गिराए जाएँगे

बस नाम रहेगा अल्लाह का

जो ग़ाएब भी है हाज़िर भी

जो मंज़र भी है नाज़िर भी

उट्ठेगा अनल-हक़ का नारा

जो मैं भी हूँ और तुम भी हो


और राज करेगी ख़ल्क़-ए-ख़ुदा

जो मैं भी हूँ और तुम भी हो।।



फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ रचनाएं 


• और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा।।

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा।।


फैज़ अहमद फैज़ की शायरी 


• दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है।।

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।।


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविताएं 


• और क्या देखने को बाक़ी है।।

आप से दिल लगा के देख लिया।।


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ 


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ 


• तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं।।

किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं।।




• नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही।।

नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही।।



• आप की याद आती रही रात भर।।

चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर।।



• हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे।।

जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे।।



• सारी दुनिया से दूर हो जाए।।

जो ज़रा तेरे पास हो बैठे।।



• बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते।।

तुम अच्छे मसीहा हो शिफ़ा क्यूँ नहीं देते।।



• हर सदा पर लगे हैं कान यहाँ।।

दिल सँभाले रहो ज़बाँ की तरह।।


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