Faiz poetry : दोस्तों आज हम इस लेख में आपको फैज़ अहमद फ़ैज़ के चुनिंदा शेर और गजलें ले कर आए हैं। जिसमे आप faiz portey पढ़ सकते हैं।
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Faiz poetry |
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• बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे
बोल ज़बाँ अब तक तेरी है
तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा
बोल कि जाँ अब तक तेरी है
देख कि आहन-गर की दुकाँ में
तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन
खुलने लगे क़ुफ़्लों के दहाने
फैला हर इक ज़ंजीर का दामन
बोल ये थोड़ा वक़्त बहुत है
जिस्म ओ ज़बाँ की मौत से पहले
बोल कि सच ज़िंदा है अब तक
बोल जो कुछ कहना है कह ले
• हम देखेंगे
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिस का वादा है
जो लौह-ए-अज़ल में लिख्खा है
जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ
रूई की तरह उड़ जाएँगे
हम महकूमों के पाँव-तले
जब धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हकम के सर-ऊपर
• तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं।।
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं।।
हर अजनबी हमें महरम दिखाई देता है।।
जो अब भी तेरी गली से गुज़रने लगते हैं।।
दर-ए-क़फ़स पे अँधेरे की मोहर लगती है।।
तो फ़ैज़ दिल में सितारे उतरने लगते हैं।।
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Faiz poetry
• कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब।।
आज तुम याद बे-हिसाब आए।।
Kar raha tha gam e jaha ka hisab
Aaj tum yaad be hisab aaye
• दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के।।
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के।।
Dono jahan teri mohabbat me har ke
Vo ja raha hai koi shab e gam gujar ke
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• आप की याद आती रही रात भर।।
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर।।
Aap ki yaad aati rahi rat bhar
Chandani dil dukhati rahi rat bhar
• सारी दुनिया से दूर हो जाए।।
जो ज़रा तेरे पास हो बैठे।।
Sari duniya se door ho Jaye
Jo jara tere pass ho baithe
• बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते।।
तुम अच्छे मसीहा हो शिफ़ा क्यूँ नहीं देते।।
Be dam huye bimar dawa kyu nahi dete
Tum achhe masiha ho shifa kyu nahi dete
• हर सदा पर लगे हैं कान यहाँ।।
दिल सँभाले रहो ज़बाँ की तरह।।
Har sada per lage hai kan yaha
Dil sambhale raho jaba ki tarah
• दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है।।
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।।
Dil na ummid to nahi naqam hi to hai
Lambi hai gam ki sham magar sham hi to hai
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