Kaifi Azmi : कैफ़ी आज़मी एक भारतीय संगीतकार, गीतकार और वीडियो डायरेक्टर हैं। वह उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पैदा हुए थे। कैफ़ी आज़मी Kaifi azmi का जन्म 14 जनवरी, 1918 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था। इनका पूरा नाम सय्यद अतहर हुसैन रिज़व था , कैफ़ आज़मी kaifi Azmi बहुत ही संवेदनशील और ताकतवर संगीतकार, गीतकार और शायर थे ।
उन्होंने अपनी कैरियर की शुरुआत मुंबई में की जहां वह बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत बनाने लगे। उन्होंने अपने संगीतीय करियर के दौरान कई हिट गीत बनाए जो लोगों को अपनी मधुर आवाज और उनके गीतों की सुंदरता से प्रभावित करते थे।
कैफ़ी आज़मी kaifi Azmi ने बॉलीवुड फिल्मों के लिए संगीत बनाने के साथ-साथ तेलुगू, उर्दू, पंजाबी, बंगाली में भी काम किया। कैफ़ी आज़मी kaifi azmi गीत बनाने में अद्भुत कौशल का अनुभव है और उन्होंने कई हिट गीतों को बनाया है। उनके गीतों में 'तेरे बिना जीया जाये ना', 'तुम हो पास मेरे', 'दिल इबादत कर रहा है', 'तेरी फ़रियाद' आदि शामिल हैं।।
कैफ़ी आज़मी kaifi Azmi ने अपने संगीतीय करियर के दौरान कई पुरस्कार भी जीते। उनमें फ़िल्मफेयर पुरस्कार, फ़िल्म फेयर अवॉर्ड और स्टार स्क्रीन अवॉर्ड शामिल हैं।। सन 10 मई 2002 को कैफ़ी आज़मी साहब इस दुनियां से रुखसत हो गए।
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Kaifi Azmi |
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Kaifi azmi ghazals
• शोर यूँही न परिंदों ने मचाया होगा।।
कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा।।
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था।।
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा।।
बिजली के तार पे बैठा हुआ हँसता पंछी।।
सोचता है कि वो जंगल तो पराया होगा।।
अपने जंगल से जो घबरा के उड़े थे प्यासे।।
हर सराब उन को समुंदर नज़र आया होगा।।
Kaifi Azmi ghazal in hindi
• तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो।।
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो।।
बन जाएँगे ज़हर पीते पीते।।
ये अश्क जो पीते जा रहे हो।।
आँखों में नमी हँसी लबों पर।।
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो।।
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है।।
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो।।
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर।।
रेखाओं से मात खा रहे हो।।
कैफ़ी आज़मी की गजलें
• हाथ आ कर लगा गया कोई।।
मेरा छप्पर उठा गया कोई।।
मैं खड़ा था कि पीठ पर मेरी।।
इश्तिहार इक लगा गया कोई।।
ये सदी धूप को तरसती है।।
जैसे सूरज को खा गया कोई।।
लग गया इक मशीन में मैं भी।।
शहर में ले के आ गया कोई।।
ऐसी महँगाई है कि चेहरा भी।।
बेच के अपना खा गया कोई।।
वो गए जब से ऐसा लगता है।।
छोटा मोटा ख़ुदा गया कोई।।
मेरा बचपन भी साथ ले आया।।
गाँव से जब भी आ गया कोई।।
अब वो अरमान हैं न वो सपने।।
सब कबूतर उड़ा गया कोई।।
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Kaifi azmi |
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कैफ़ी आज़मी शायरी हिंदी
• बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में।।
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में।।
Bas ek jhijhak hai yahi hal e dil sunane me
Ki tera zikr bhi ayega is fasane me
Kaifi Azmi poems in Hindi
• इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं।।
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद।।
Insha ki khwahishon koi inteha nahi
Do Gaj zami bhi chahiye do gaj kafan ke bad
• बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए।।
इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए।।
Basti me apni Hindu musalama jo bas gaye
Insha ki shakl dekhne ko ham taras gaye
Kaifi Azmi famous poems
• रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई।।
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई।।
Rahane ko sada dahar me ata nahi koi
Tum jaise gaye ese bhi jata nahi koi
• तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो।।
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो।।
Tum itna jo muskura rahe ho
Kya gam gai jisko chhupa rahe ho
• गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो।।
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ।।
Gar dubana hi apan mukaddar hai to suno
Dubenge ham jaroor magar nakhuda ke sath
• कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले।।
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है।।
Koi to sood chukaye koi to jimma le
Us inkalab ka jo aaj tak udhar sa hai
• कोई कहता था समुंदर हूँ मैं।।
और मिरी जेब में क़तरा भी नहीं।।
Koi kahata tha samandar hu mai
Aur meri jeb me katara bhi nahi
• बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें।।
मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले।।
Belache lao kholo jami ki tahe
Mai kaha dafn hu kuch pata to chale
• रोज़ बस्ते हैं कई शहर नए।।
रोज़ धरती में समा जाते हैं।।
Roz baste hai kai shahar naye
Roz dharati me sama jate hai
• इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े।
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े।।
Itna to zindagi me kisi ke khalal padhe
Hasane se ho sookun n rone se kal padhe
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