बिस्मिल अज़ीमाबादी शायरी: सरफरोशी की तमन्ना लिखने वाले शायर के पढ़िए चुनिंदा शायरी..

Bismil azimabadi shayari: दोस्तों आप में से कोई ऐसा नहीं होगा जो ये ग़ज़ल न सुना हों "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं देखना हैं जोर कितना बाजू ए कातिल में हैं" दोस्तों आज़ादी से लेकर अब तक जब जुल्म बढ़ता है या आज़ादी की मांग उठती हैं तो ये ग़ज़ल का शेर ज़रूर पढ़ा जाता हैं, चाहें लोगों में इंकलाब पैदा करना हो ये प्रतिशोध लेना हो हर कोई इस शेर को इंकलाब के तौर पर पढ़ता हैं, लेकिन आप में से शायद कुछ लोगों को ये न पता हो कि ये ग़ज़ल किसने लिखीं हैं? दोस्तों ये ग़ज़ल उर्दू अदब के बडे़ शायर बिस्मिल अज़ीमाबादी ने आज़ादी से पहले लिखा था। यहीं वो गज़ल हैं जिसे भगत सिंह फांसी पर चढ़ते हुए लोगों को बोला था। बिस्मिल अज़ीमाबादी उर्दू अदब के बेहतरीन शायर थे , इनके लिखें शेर आज के दौर में लोगों ने अमर कर दिया हैं , दोस्तों एक समय ऐसा था जब हमारे देश पर ब्रिटिश हुकूमत का शासन हुआ करता था, वो हर हिन्दुस्तानियों पर जुल्म और जानवर की तरह व्यहार करते थे, उस दौरान भारत में कोने कोने से अनेकों क्रांतिकारी भारत को आजाद करने के लिए, अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहते थे, उन्हीं में से बिस्मिल अज़ीमाबादी भी एक थे बचपन से ही हिन्दुस्तानियों पर होते जुल्म को देखा था इनके सीने में कुछ कर गुजरने की चिंगारी हमेशा जलती रहती थी, और अपने सीने की चिंगारी लोगों में भी जलाना चाहते थे इसलिए कलम से अपने अंदर जलते चिंगारी को श्याही बनाकर जब कोरे पन्ने पर लिखा "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं देखना है जोर कितना बाजु ए कातिल में हैं " तो क्या था बस जो इनके अंदर चिंगारी थी वो इस गजल के जरिए लोगों के अंदर आग में बदल गई, भारत का बचा बच्चा ब्रिटिश हुकूमत के आंख में आंख मिलाकर ये शेर पढ़ने लगा, अंग्रेजो ने ये जोश देखकर थर्राने लगे, देखते ही देखते भगत सिंह भी इस तारने को इंकलाब बना दिया। 


Bismil azimabadi 




आइए जानते हैं बिस्मिल अज़ीमाबादी के गज़ल


• सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है


ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार

ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है


वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं

कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है


रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में

लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है


शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले

इक ख़ुशी का राज़ पिन्हाँ जादा-ए-मंज़िल में है


आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार

आएँ वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है


मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से

ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है


माने-ए-इज़हार तुम को है हया हम को अदब

कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है


वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ

हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है


मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर

सर-निगूँ बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है


अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़

सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है


Bismil azimabadi ghazals 


• रुख़ पे गेसू जो बिखर जाएँगे

हम अँधेरे में किधर जाएँगे


यार आया न अगर वा'दे पर

हम तो बे-मौत के मर जाएँगे


क़ाफ़िले वक़्त के रफ़्ता रफ़्ता

किसी मंज़िल पे ठहर जाएँगे


अपने हाथों से पिला दे साक़ी

रिंद इक घूँट में तर जाएँगे


मुस्कुराने की ज़रूरत क्या है

मरने वाले यूँही मर जाएँगे



• ख़िज़ाँ जब तक चली जाती नहीं है

चमन वालों को नींद आती नहीं है


जो रोता हूँ तो हँसता है ज़माना

जो सोता हूँ तो नींद आती नहीं है


कली बुलबुल से शोख़ी कर रही है

ज़रा फूलों से शरमाती नहीं है


तुम्हारी याद को अल्लाह रक्खे

जब आती है तो फिर जाती नहीं है


नहीं मिलती तो हंगामे हैं क्या क्या

जो मिलती है तो पी जाती नहीं है


घड़ी भर को जो बहलाए मिरा दिल

कोई ऐसी घड़ी आती नहीं है


जफ़ा जब तक कि चौंकाती नहीं है

मोहब्बत होश में आती नहीं है


बिस्मिल अज़ीमाबादी के शेर..


•तुम सुन के क्या करोगे कहानी ग़रीब की

जो सब की सुन रहा है कहेंगे उसी से हम

~बिस्मिल अज़ीमाबादी 


• सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

Bismil azimabadi 


Bismil azimabadi shayari in Hindi 


• ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी हुई 'बिस्मिल'

न रो सके न कभी हँस सके ठिकाने से

~बिस्मिल अज़ीमाबादी 



• देखा न तुम ने आँख उठा कर भी एक बार

गुज़रे हज़ार बार तुम्हारी गली से हम

~बिस्मिल अज़ीमाबादी 



• दास्ताँ पूरी न होने पाई

ज़िंदगी ख़त्म हुई जाती है


~बिस्मिल अज़ीमाबादी 



• क्या करें जाम-ओ-सुबू हाथ पकड़ लेते हैं

जी तो कहता है कि उठ जाइए मय-ख़ाने से

~Bismil azimabadi 



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