Rahat Indori best shayari : राहत इंदौरी बेस्ट शायरी . पढ़िए

Rahat Indori best shayari : राहत इंदौरी rahat indori भारतीय कवि और शायर थे, जो उर्दू और हिंदी भाषा में अपनी रचनाएं लिखते थे। वह 1 जनवरी 1950 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में इंदौर में पैदा हुए थे और 11 अगस्त 2020 को मुंबई में उनके निधन हो गया था। 

राहत इंदौरी rahat indori की कविताएं अपने समय के सबसे प्रसिद्ध कवि और शायरों में से एक हैं, और वह अपनी अनूठी शैली के लिए जाने जाते थे। उनकी कविताओं में उर्दू, हिंदी और फारसी भाषाओं के शब्दों का उपयोग किया जाता है जिससे उनकी रचनाएं अद्भुत तरीके से भावनाओं को व्यक्त करती हैं। वे इस्लामी संस्कृति, प्रेम और जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर अपनी रचनाएं लिखते थे। साथ ही, राहत इंदौरी rahat indori एक भारतीय फिल्म उत्पादक भी थे। उन्होंने कई फिल्मों का गीत लिखा हैं। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई उपलब्धियों की हैं जिसमें उन्हें दिल्ली के नवाब जफर यार जंग के साथ शायरी की रातों में शामिल होने का सौभाग्य था। उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग में अपने योगदान से एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया और अपनी रचनाओं से दर्शकों के दिलों को छूने की कला को समझते थे।

राहत इंदौरी rahat indori को साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री, पद्मभूषण और युगपुरुष पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैं।  आइए जानते है राहत इंदौरी बेस्ट शायरी ( rahat indori best shayari )


Rahat Indori best shayari 


Rahat Indori best shayari 



• बुलाती है मगर जाने का नइं।।

वो दुनिया है उधर जाने का नइं।।


मिरे बेटे किसी से इश्क़ कर।।

मगर हद से गुज़र जाने का नइं।।


सितारे नोच कर ले जाऊँगा।।

मैं ख़ाली हाथ घर जाने का नइं।।


वो गर्दन नापता है नाप ले।।

मगर ज़ालिम से डर जाने का नइं।।


वबा फैली हुई है हर तरफ़।।

अभी माहौल मर जाने का नइं।।



• हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ' नहीं देंगे।।

ज़मीन माँ है ज़मीं को दग़ा नहीं देंगे।।


रिवायतों की सफ़ें तोड़ कर बढ़ो वर्ना।।

जो तुम से आगे हैं वो रास्ता नहीं देंगे।।


हमें तो सिर्फ़ जगाना है सोने वालों को।।

जो दर खुला है वहाँ हम सदा नहीं देंगे।।


यहाँ कहाँ तिरा सज्जादा आ के ख़ाक पे बैठ।।

कि हम फ़क़ीर तुझे बोरिया नहीं देंगे।।


शराब पी के बड़े तजरबे हुए हैं हमें।।

शरीफ़ लोगों को हम मशवरा नहीं देंगे।।



•कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे।।

जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे।।


मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का।।

इरादा मैं ने किया था कि छोड़ दूँगा उसे।।


पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ़ सूरज।।

कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे।।


बदन चुरा के वो चलता है मुझ से शीशा-बदन।।

उसे ये डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूँगा उसे।।


मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को।।

समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे।।



• चराग़ों का घराना चल रहा है।।

हवा से दोस्ताना चल रहा है।।


जवानी की हवाएँ चल रही हैं।।

बुज़ुर्गों का ख़ज़ाना चल रहा है।।


अभी हम ज़िंदगी से मिल न पाए।।

तआरुफ़ ग़ाएबाना चल रहा है।।


नए किरदार आते जा रहे हैं।।

मगर नाटक पुराना चल रहा है।।


समुंदर से किसी दिन फिर मिलेंगे।।

अभी पीना-पिलाना चल रहा है।।


वही महशर वही मिलने का वादा।।

वही बूढ़ा बहाना चल रहा है।।


वही दुनिया वही साँसें वही हम।।

वही सब कुछ पुराना चल रहा है।।


यहाँ इक मदरसा होता था पहले।।

मगर अब कारख़ाना चल रहा है।।


Rahat Indori best shayari 




• मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो।।

आसमाँ लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो।।


मैं ने जिस ताक पे कुछ टूटे दिये रक्खे हैं।।

चाँद तारों को भी ले जा के वहीं पर रख दो।।


अब कहाँ ढूँढने जाओगे हमारे क़ातिल।।

आप तो क़त्ल का इल्ज़ाम हमीं पर रख दो।।


• रात की धड़कन जब तक जारी रहती है।।

सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है।।


पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में।।

हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है।।


वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुँचे हैं।।

जिन लोगों के पास सवारी रहती है।।


छत से उस की धूप के नेज़े आते हैं।।

जब आँगन में छाँव हमारी रहती है।।


घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया।।

घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।।


• आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो।।

ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।।


राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें।।

रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो।।


एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो।।

दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।।


आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में।।

कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो।।


ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे।।

नींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो।।


ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन।।

दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो।।



• आबो जमजम कौसरो तस्लीम नहीं लिख सकता

या नबी आप की ताजीम नहीं लिख सकता

मै सात समन्दर भी निचोड़ दू राहत

तो भी आपके नाम का एक मीम नहीं लिख सकता


• उठा शमशीर, दिखा अपना हूनर,क्या लेगा

ये रही जान, ये गर्दन है, ये सर क्या लेगा

सिर्फ एक शेर उड़ा देगा परखच्चे तेरे

तू सोचता है ये शायर है कर क्या लेगा।।



• ऊंचे ऊंचे दरबारों से क्या लेना

नंगे,भूखे,बेचारो,से क्या लेना अपना मालिक अपना खालिक अफज़ल है 

आती-जाती सरकारों से क्या लेना



• लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में ।।

यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।।


• झूठ से सच से जिससे भी यारी रखें

आप तो अपनी तकरीर जारी रखें।

बात मन की कहें या वतन की,

झूठ बोलें तो आवाज भारी रखें। 


Rahat Indori best shayari 
 



• अभी गनीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नही हूँ।।

वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नही हूँ ।।    


• ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था।।

मै बच भी जाता तो एक रोज़ मरने वाला था।।



• अड़े थे जिन पर कि सूरज बनाकर छोड़ेंगे।।

पसीने छूट गए क्या एक दिया बनाने में।।

मेरी निगाह में वह शख्स आदमी भी नहीं ।।

जिसे जमाना लगा है खुदा बनाने में।।


• अगर नाराज हैं तो होने दो जान थोड़ी है।। 

ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है।।

लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में ।।

यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।।


• चरागों को उछाला जा रहा है

हवा पे रोब डाला जा रहा है

जनाज़े पर मेरे लिख देना यारों

मुहब्बत करने वाला जा रहा है



• झूठ से सच से जिससे भी यारी रखें,

आप तो अपनी तकरीर जारी रखें।

बात मन की कहें या वतन की,

झूठ बोलें तो आवाज भारी रखें।      


• राह में खतरे भी हैं, लेकिन ठहरता कौन है।।

मौत कल आती है, आज आ जाए डरता कौन है।।



•शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम ।।

आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे।।



• मैं जब मर जाऊ तो मेरी अलग पहचान लिख देना।

लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना।।



• फूलो का दुकान खोलो खुशबू का व्यापार करो।।

इश्क़ अगर खता है तो ये खता सौ बार करो।। 



• सभी का ख़ून शामिल हैं, यहां की मिट्टी में।।

हिन्दुस्तान किसी के बाप का थोड़ी हैं।।



• उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो।।

धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।।



• वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा।।

मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया।।


• अभी गनीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नही हूँ।।

वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नही हूँ ।।


•फूलो का दुकान खोलो खुशबू का व्यापार करो ।।

इश्क़ अगर खता है तो ये खता सौ बार करो।।


• सोए रहते हैं ओढ़ कर ख़ुद को।।

अब ज़रूरत नहीं रज़ाई की।।


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