Gulzar poetry : गुलजार के 11 बड़े शेर पढ़िए

Gulzar poetry : दोस्तो उर्दू अदब के सबसे बड़े शायर गुलज़ार {Gulzar shayari } के लिखें 11 बड़े शेर बताने वाला हु। गुलज़ार { Gulzar } आज के दौर के सबसे पसंदीदा और मशहूर शायर हैं इनके लिखे शेर को करोड़ों लोग रोज़ाना पढ़ते हैं, गुलज़ार शायर { Gulzar shayari } के साथ साथ एक बड़े फ़िल्म लेखक और गाना लिखने के लिए जानें जाते हैं। अगर आप गुलज़ार के बारे में ज्यादा नहीं जानते तो आप हमारे इस आर्टिकल को पढ़िए जिसमें गुलज़ार के बारे में विधि से बताया हैं। आइए जानते हैं गुलज़ार के मशहूर शेर और गजलें।


Gulzar poetry 




Gulzar poetry 


1. फूलों की तरह लब खोल कभी

ख़ुशबू की ज़बाँ में बोल कभी


अल्फ़ाज़ परखता रहता है

आवाज़ हमारी तोल कभी


खिड़की में कटी हैं सब रातें

कुछ चौरस थीं कुछ गोल कभी


अनमोल नहीं लेकिन फिर भी

पूछ तो मुफ़्त का मोल कभी


ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह

हो जाता है डाँवा-डोल कभी।



2.शाम  से आज साँस भारी है।।

बे-क़रारी सी बे-क़रारी है।।


शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले।।

कैसी चुप सी चमन में तारी है।।


रात को दे दो चाँदनी की रिदा।।

दिन की चादर अभी उतारी है।।


आप के बाद हर घड़ी हम ने।।

आप के साथ ही गुज़ारी है।।


कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था।।

आज की दास्ताँ हमारी है।।





गुलज़ार पोएट्री


3. ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा।।

क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।।


Zindagi Yun hui basar tanha

Kafila sath aur safar tanha 


गुलज़ार शायरी


4. वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर।।

आदत इस की भी आदमी सी है।।


Vakt rahata nahi kahi tik kar

Adat is ki bhi adami si hai 



5. हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में।।

रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।।


Ham ne aksher tumhari rahon me

Ruk kar apna hi intezar kiya



6. ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में।।

एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।। 


Khushboo jaise log mile afsane me

Ek purana khat khola anjane me 




7.दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई।।

जैसे एहसाँ उतारता है कोई।।


Din kuch ese gujarata hai koi

Jaise ehsan utarata hai koi 



8.वो उम्र कम कर रहा था मेरी।।

मैं साल अपने बढ़ा रहा था।।


Vo umr kam kar raha tha meri

Mai saal badha Raha tha 



9.ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं।।

ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं।।


Ye rotiya hai ye sikke hai aur dayare hai

Ye ek duje ko din bhar pakadate hai



10.चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई।।

कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ।।


Chulhe nahi jalaye ki basti hi jal gai 

Kuch roz ho gaye hai ab uthata nahi dhua



11. जब दोस्ती होती है तो दोस्ती होती है।।

और दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता।।


Jab Dosti hoti hai to Dosti hoti hai

Aur dosti me koi ehsan nahi hota  



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